उज्जैन। महर्षि शिक्षा संस्थान एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के मध्य ऐतिहासिक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसके द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय में महर्षि महेश योगी ज्ञान पीठ की स्थापना की जायेगी।
इस शुभ अवसर पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि परम पूज्य महर्षि जी ने संपूर्ण विश्व को सनातन भारतीय वैदिक ज्ञान परंपरा से परिचित कराया। उन्होंने योग की सर्वोच्च तकनीक भावातीत ध्यान की सरल, सहज पद्धति प्रदान की जिसके प्रतिदिन 20 मिनट प्रातः एवं संध्या अभ्यास से प्रत्येक मनुष्य मन की शांति प्राप्त कर सकता है। मन से शांत व्यक्ति ही प्रबुद्ध जीवन व्यतीत करते हुए समस्त कार्यों में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकता है। अब विक्रम विश्वविद्यालय के प्राध्यापक गण, विद्यार्थीगण एवं उनके माध्यम से अन्य भारतीय एवं वैश्विक नागरिक भी महर्षि जी की इस विद्या से समस्त मानव जाति के जीवन को सफल बनाएंगे। महर्षि महेश योगी ज्ञान पीठ सदैव सक्रिय रहते हुए इस महान कार्य को सफलतापूर्वक करेगी, ऐसा ही हम सब की कामना है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु माननीय प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा जो वैदिक शिक्षा हम अध्ययन- अध्यापन के रूप में चाह रहे हैं वह महर्षि संस्थान पहले से ही कर रहा है। वर्तमान में मनुष्य में व्याप्त तनाव दूर होना चाहिए। वैदिक शिक्षा इसका एक सशक्त माध्यम है। महर्षि महेश योगी ज्ञान पीठ" की विश्वविद्यालय में स्थापना होने से वैदिक विषय के ज्ञान का प्रसार होगा, विश्व और उत्तमोत्तम बनेगा। वैदिक ज्ञान का प्रसार हो इसके लिए हम ज्ञान पीठ के माध्यम से मिलकर कार्य करेंगे। विश्वविद्यालय में शोध कार्य इस ज्ञान पीठ का एक मुख्य कार्य होगा।
प्रोफेसर बी. के. आंजना को "महर्षि महेश योगी ज्ञानपीठ" का निदेशक नियुक्त किया गया है, जो विक्रम विश्वविद्यालय में संस्कृत, वेद एवं ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अनिल शर्मा एवं महर्षि शिक्षा संस्थान की ओर से निदेशक, संचार एवं जनसंपर्क व्ही. आर. खरे ने किए। इस अवसर पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के माननीय कुलगुरु प्रमोद कुमार वर्मा, उपनिदेशक रामदेव दुबे, एवं महाहर्बलस के निदेशक धीरज द्विवेदी उपस्थित थे। विक्रम विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव अनिल शर्मा एवं विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रोफेसर बालकृष्ण शर्मा कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ गोविंद गंधे एवं अनेक विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक एवं विद्वतगण उपस्थित थे।
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने इस अवसर पर अपनी पुस्तक "परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी की दैवीय छत्रछाया में ब्रह्मचारी गिरीश" एवं महर्षि संगठन की वार्षिक पत्रिका ज्ञान 2024 माननीय कुलपति पांडेय जी, कुलसचिव श्री शर्मा एवं उपस्थित महानुभावों को भेंट की।
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