विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव के समापन पर हुए संगीतमय योग प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव का समापन योग केंद्र के सभागार में हुआ। कार्यक्रम जीवन में योग और ध्यान की महिमा, महान गुरुओं के योगदान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नवाचारों के महत्व पर व्याख्यान के साथ संगीतमय योग प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कार्यक्रम में कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं डीएसडब्ल्यू प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने विशिष्ट व्याख्यान दिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि श्रेष्ठ गुरु वह है जो सबको समान दृष्टि से देखता है और समान भाव से शिक्षा देता है। यह शिष्य की क्षमता पर निर्भर करता है कि वह अपने जीवन में उस शिक्षा को कितना उतारता है। मां प्रथम गुरु होती है उसकी महिमा को नई पीढ़ी जाने यह जरूरी है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नवाचार की संभावनाएं विषय पर कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने प्रकाश डाला। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और ज्ञान की महिमा पर विभागाध्यक्ष एवं डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर एस के मिश्रा ने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में अदिति सिंह पवार ने संगीतमय योग प्रदर्शन किया। उर्मि कड़ोतिया, पुष्पेंद्र जोशी एवं ज्योति जीनवाल ने लयात्मक योग प्रदर्शन के माध्यम से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। योगाचार्य सुरेखा तंवर एवं श्रीमती अलका राठौर ने सूर्य नमस्कार प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में ज्योतिषाचार्य पंडित प्रदीप पण्ड्या ने गुरुओं को सम्मानित किया। विद्यार्थियों द्वारा पौधे अर्पित कर गुरुओं का सम्मान किया गया। शोधार्थी श्यामलाल चौधरी, सचिन तिवारी एवं रणधीर अथिया द्वारा गीतों की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम में प्रोफेसर डी डी बेदिया, प्रोफेसर बी के आंजना, प्रोफेसर संदीप तिवारी प्रोफेसर राजेश टेलर, डॉ वीरेंद्र चावरे, डॉ आलोक गोयल डॉ बिंदु पवार आदि सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी गण उपस्थित थे।
संचालन डॉ मुकेश वाणी ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ बिंदु पंवार ने किया।
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