भगवान कृष्ण का जीवन एक सीख है, जो विपरीत परिस्थितियों में जीना सिखाते हैं -कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय
विक्रम विश्वविद्यालय के माधव भवन में हुआ कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन, परिसंवाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुई मटकी फोड़ स्पर्धा
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन परिसर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश शासन द्वारा इस वर्ष पूरे प्रदेश में भव्यता के साथ जन्माष्टमी का आयोजन किया जा रहा हैं। इसी शृंखला में श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय के माधव भवन परिसर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन किया गया।
इस अवसर पर श्रीकृष्ण का चरित्र और उनका सन्देश पर महत्वपूर्ण परिसंवाद का आयोजन किया गया। परिसंवाद की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और छात्रों की सहभागिता से मटकी फोड़ स्पर्धा का आयोजन किया गया।
परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि श्री कृष्ण का जीवन आपने आप में एक सीख है। उनका जन्म बहुत कठिन परिस्थितियों में हुआ और उनका जीवन इस बात का परिचायक हैं कि व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपना मूल स्वभाव और अपने जीवन का उद्देश्य नहीं खोना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें भी अपने जीवन में इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि परिस्थिति कैसी भी हो अपना लक्ष्य निर्धारित कर उस दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने गुरु सांदीपनि से अल्प अवधि में समस्त कलाओं और विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने व्याख्यान में कहा कि श्रीकृष्ण विश्व सभ्यता में विलक्षण लोक नायक हैं, जिन्होंने कंस की निरंकुशता और यथास्थिति का प्रतिरोध किया। उनकी लीलाओं में गहरा अर्थ और उद्देश्य निहित है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से उन्होंने प्रकृति और गौ के बजाय इंद्र की पूजा की परिपाटी को परिवर्तित किया। कृष्ण भक्ति आंदोलन और कला रूपों ने पूरे देश को एकसूत्र में बांधा है। श्रीकृष्ण का उज्जैन नगरी सहित मध्य प्रदेश से विशेष संबंध रहा है। उन्होंने अपनी शिक्षा उज्जयिनी से ग्रहण की, मित्र सुदामा के साथ लकड़ी चयन का अविस्मरणीय क्षण नारायणा में बिताया। रुक्मिणी का वरण धार स्थित अमझेरा में किया और उन्हें भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र की प्राप्ति जानापाव में हुई। मध्य प्रदेश में प्रति वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम की पीठिका डीएसडब्ल्यू प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि कृष्ण के चरित में दर्शन के अनेक सूत्र उपस्थित हैं। उनका स्मरण भक्ति और मुक्ति का द्वार है।
कार्यक्रम में विद्योतमा छात्रावास की बालिकाओं ने राधा - कृष्ण बन कर सुंदर नृत्यों की प्रस्तुति दी। छात्रा कलाकारों में खुशी पाल (कृष्ण), दिव्या (राधा), जनमोनी, कुमकुम, गीतांजलि सिसौदिया, अंशु, पल्लवी, रुचि, साक्षी, प्रकृति, निशु, प्रज्ञा, तनिष्का, मोनिका, स्वागती मेड़ा, स्तुति बागल आदि सम्मिलित थीं। विश्वविद्यालय के बालक एवं बालिका छात्रावास के विद्यार्थियों सहित विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने मटकी फोड़ प्रतियोगिता में भाग लिया। इस प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थी अविजीत सिंह एवं आदित्य पांडे को माननीय कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा विशेष पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी कल्याण संकाय के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर एस के मिश्रा ने किया एवं आभार प्रोफेसर संदीप तिवारी ने माना।
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