Skip to main content

विश्वविद्यालय की प्राणिकी अध्ययनशाला एवं विज्ञान संकाय में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए गोल्ड मेडल की स्थापना

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा प्रतिवर्ष  प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के संस्थापक और जाने माने  वैज्ञानिक डॉक्टर हरस्वरूप एवं वैज्ञानिक  डॉक्टर आभा स्वरूप के नाम पर  स्थापित गोल्ड मेडल से विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। 

संस्था के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि प्रोफेसर हरस्वरूप साठ के दशक के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं  शिक्षक रहे हैं। उन्होंने उस दशक में एनिमल क्लोनिंग और पॉलीप्लॉयड पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में काम किया, जिस पर आगे जा कर वर्ष 2012 में उनके सहयोगी को नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। डॉक्टर स्वरूप ने अपना पूरा जीवन जीव विज्ञान जेनेटिक्स एवं बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित शोध और अपने विद्यार्थियों के उत्थान को समर्पित किया। वे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्राणिकी अध्ययनशाला के संस्थापक प्रोफेसर एवं जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं इंडियन नेशनल साइंस अकादमी के फेलो भी रहे। विक्रम विश्वविद्यालय  के  विज्ञान संकाय में सर्वोच्च अंक पाने वाले विद्यार्थियों को डॉक्टर हारस्वरूप सैंटनरी अवार्ड के रूप में गोल्ड मेडल हर वर्ष प्रदान किया जाएगा।

एम एस सी प्राणिकी तथा एम एस सी जैव प्रौद्योगिकी में विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले सर्वोच्च अंक पाने वाले विद्यार्थी गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा।  डॉक्टर आभा स्वरूप ने  अपना सम्पूर्ण जीवन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उत्थान को समर्पित किया हैं। डॉक्टर आभा स्वरूप अपने जीवन में एक होनहार विद्यार्थी रही हैं। उन्होंने  माधव विज्ञान महाविद्यालय से  स्नातक एवं प्राणिकी अध्ययनशाला  से  स्नातकोत्तर उपाधि मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त कर 3 गोल्ड मेडल प्राप्त किए और आगे जा कर वे मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की डायरेक्टर, भोज विश्वविद्यालय की डायरेक्टर एवं कुलपति, मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियात्मक आयोग की सचिव आदि पदों पर पदस्थ रहीं। उन्होंने सदैव शोध एवं अनुसंधान का उपयोग समाज के विकास एवं उत्थान के लिए किया हैं।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि ये विक्रम विश्वविद्यालय के गौरवशाली पल हैं जब उसके एक विभाग के संस्थापक और एक होनहार पूर्व छात्र के नाम पर मेडल घोषित किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी ऐसी महान हस्तियों से सीख लेकर आगे बढें और जीवन में एक मकाम हासिल करें। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अनिल शर्मा, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के अध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने डॉक्टर हरस्वरूप  फाउंडेशन को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि ये मेडल विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और आगे जाकर कई विद्यार्थी इन हस्तियों से प्रेरणा प्राप्त कर जीवन में अपना एक मकाम हासिल कर पाएंगे।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar