हिन्दी हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा है - ओ.पी. मिश्र
14 सितम्बर हिन्दी दिवस
किसी भी ज्ञान को गहराई से अर्जित करना उसकी अपनी भाषा में ही संभव है। हिन्दी हमारी अपनी भाषा है, इसलिए यह हमारे सामाजिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। ज्ञानार्जन का वास्तविक आधार हिन्दी ही है, इसलिए हमें शुद्ध बोलने, लिखने और पढ़ने की आदत डालनी पड़ेगी। यह तभी संभव होगा, जब हम अंग्रेजी के मोहजाल से बाहर निकलेंगे। यह उद्गार स्वर्गीय पं. अरुणभार्गव स्मृति-हिन्दी प्रचार-प्रसार समिति रतलाम द्वारा “राष्ट्रभाषा हिन्दी के संघर्ष भरे 75 वर्ष” वार्षिक पत्रिका का विमोचन करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन में रंगकर्मी और शिक्षाविद श्री ओमप्रकाश मिश्र ने स्थानीय शासकीय उत्कृष्ट उ.मा. विद्यालय के सभा गृह में हिन्दी प्रेमियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रो. प्रदीपसिंह राव ने कहा कि वर्तमान समय में हिन्दी भारतवर्ष की एक आवश्यकता है। हिन्दी के मामले में हमें औपचारिकता से बचकर दिल से सम्मान देना चाहिए।
विशेष वक्ता के रूप में उज्जैन से पधारे हिन्दी प्रेमी डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि हिन्दी विश्व भाषा बनने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है। हिन्दी सबको बड़ा बनाती है। अंग्रेजी किसी का भला नहीं कर सकती है; उसका उद्देश्य दासप्रथा को बढ़ावा देना है। जबकि हिन्दी में अपनापन है। इस अवसर पर श्री सुभाष कुमावत ने कहा कि हिन्दी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। आज की पीढ़ी को मन में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जगाना आवश्यक है। यदि आज की पीढ़ी के मन में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जाग्रत हो जाए, तो फिर हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनने से कोई नहीं रोक सकता है। वरिष्ठ समाजसेवी श्री दिनेश शर्मा ने कहा कि हिन्दी भाषा राष्ट्र का गौरव है जो सभी को जोड़ने का कार्य करती है।
हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में लोकसंस्कृति को बचाने के उद्देश्य से लोक गीत प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस प्रतियोगिता में श्री गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। शासकीय उत्कृष्ट उ.मा. विद्यालय रतलाम को द्वितीय स्थान मिला। तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से शासकीय हाई स्कूल कुण्डा और सी. एम. राइज मॉडल स्कूल सैलाना रहे। निर्णायक के रूप में श्री दिनेश बारोठ और श्रीमती विनीता ओझा ने अपनी सेवाएँ दीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती और श्री अरुण भार्गव के चित्र पर माल्यार्पण और पूजन के साथ हुआ। मंचस्थ अतिथियों का पुष्पमालाओं से आत्मीय अभिनंदन श्री दिलीप पवार, श्री विनोद शर्मा, श्रीमती सीमा अरुण भार्गव, डॉ. मुनीन्द्र दुबे, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, श्रीमती भावना पुरोहित, श्री नरेंद्रसिंह पंवार, श्री हेमंसिंह राठौर, श्री राजीव लवानिया, श्री अंजूम खान, श्री महावीरसिंह राठौर, श्री जुबैर आलम कुरेशी, श्री राजीवलोचन कुशवाह, श्री सुजात मोहम्मद, श्री राकेश जादोन, श्री जितेंद्रसिंह पथिक, श्री निर्मल सिंह चौहान, श्री दिलीप चौहान, श्री पिंकी यादव, श्री रहीस पठान, श्री संजय मेहता, श्री श्यामसुंदर भाटी, श्री सुभाष यादव, और श्री रणजीत सिंह राठौर ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री जुबैर आलम कुरेशी और श्री नरेंद्रसिंह पंवार ने किया। आभार श्री विनोद शर्मा ने व्यक्त किया।
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