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स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में इंजीनियरस डे मनाया गया

उज्जैन। स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में 15  सितंबर 2024 को इंजीनियर्स डे मनाया गया।

इंजीनियर्स डे  की शुरूआत मां शारदे की वंदना के साथ हुई। इसके पश्चात नेहा सिंह द्वारा कुलगान किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार पांडेय विक्रम विश्वविद्यालय उपस्थित रहे।

अतिथियों का स्वागत स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर संदीप तिवारी के द्वारा किया गया। 

कार्यक्रम में स्वागत भाषण डायरेक्टर संदीप तिवारी द्वारा दिया गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में एक इंजीनियर की क्या भूमिका होती है एवं विद्यार्थी किस तरह अपने जीवन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को आत्मसात कर एक अच्छा कैरियर बना सकते हैं, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो। बिना इंजीनियरिंग के देश का विकास संभव नहीं है किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में उस देश के इंजीनियर का बहुत बड़ा योगदान होता है। सिविल इंजीनियरिंग से देश ही नहीं वरन विश्व का विकास होता है । मैकेनिकल इंजीनियरिंग से हम विश्व को गति प्रदान करते हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर देश को शक्ति देता है । इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर देश को विश्व से जोड़ता है एवं कंप्यूटर साइंस इंजीनियर एक जादूगर की तरह देश को अंतरिक्ष तक ले जाता है। 

कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन से सीख लेना चाहिए। उन्होंने कितने सीमित संसाधनों में जीवन में उच्चतम स्थान पर पहुंचे अपने देश के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया इसी लिए उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया और वे आधुनिक भारत के प्रथम इंजीनियर कहलाए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को सभी महापुरुषों के जीवन वृतांत से सीख ले कर अपने जीवन में एक उद्देश्य बनाकर उसी तरह लग कर कार्य करने की प्रेरणा लेना चाहिए। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी ने ना केवल एक अच्छे इंजीनियर थे बल्कि वह एक अच्छे राजनेता भी थे जो देश के लिए अत्यंत समर्पित थे उन्होंने आजाद भारत के पहले भी कई ऐसे कार्य किए जो प्रेरणादायक स्रोत है उनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गई है जो आज इंजीनियर के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा का माध्यम है। साथ ही साथ हमे भगवान विश्वकर्मा जो स्वयं इस सृष्टि के प्रथम शिल्पकार है। उनसे शिक्षा लेना चाहिए। उनके द्वारा रचित श्री जगन्नाथ जी की मूर्तियां स्वमं में एक अनूठा शिल्प है। जो आज के समय में पूरे विश्व मे ख्याति प्राप्त है। उन्होंने ही द्वारिका एवं लंका का निर्माण किया था। उन्हें भगवान का शिल्पकार कहा जाता है। 

कार्यक्रम का आभार राजेश चौहान द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अमृता शुक्ला ने किया। इस अवसर पर श्री नेहा सिंह, अमित ठाकुर, खेमराज बैरागी, आशीष सूर्यवंशी, प्रतिभा सराफ़, समस्त फैकल्टी स्टाफ सहित विद्यार्थीगण मौजूद रहे ।

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