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घूँघट की आड़ से ऑस्कर की दौड़ तक "लापता लेडीज" - बबली चतुर्वेदी

लेखक :- बिपलव गोस्वामी, स्नेहा देसाई व दिव्यनिधि शर्मा

निदेशक :- श्रीमती किरण राव

मुख्य किरदार :- जया (प्रतिभा राणा) फूल (निताशी गोयल) दीपक (स्पर्श श्रीवास्तक प्रदीप (भास्कर झा) इंस्पेक्टर श्याम (रवि किशन)

लापता लेडीज एक दिलचस्प व सामयिक कहानी है जो भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका और उनकी पहचान बनाने के संघर्ष पर प्रकाश डालती है। फिल्म की कहानी की शुरुआत घूँघट प्रथा के कारण  दो नवविवाहित महिलाओं के लापता होने से होती है। जो धीरे- धीर गहरे सामाजिक रूढ़िवादिता को उजागर करते हुए आगे बढ़ती है। वही फिल्म के पुरुष किरदारों में विविधता दिखाई देती है। एक जो महिला सशक्तिकरण के पक्ष में हो, वही दूसरा पक्ष जो विरुध है। कहानी में इतने अतरंगी उतार-चढ़ाव दिखाए गए अंत तक दर्शको को बाँधे रखते है।

फूल:- एक सरल, उत्साही, पारिवारिक महिला जो अपने जीवन के उद्‌देश्य व स्वतंत्रता तलाश रही है। उसके किरदार में स्वतंत्रता की भावना व पारिवारिक जिम्मेदारियों दोनो है। अपने संघर्ष के बीच वह साहस और आर दृढ़ता से आगे बढ़कर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करती है।

जया :- एक सशक्त्, आत्मनिर्भर, स्वतंत्र महिला है, जो जीवन के कई कष्ट झेलकर अनुभवी हो चुकी है। वह अपने ज्ञान से लोगों को प्रेरित कर आगे बढ़ने को प्रेरणा देती है तथा महिला सशक्तिकरण का सटीक उदाहरण प्रस्‍तुत करती है।

दीपक:- एक संवेदनशील पुरूष जो सहायक और समझदार है तथा महिला सशक्तिकरण का  पक्षकार है। एक महत्वपूर्ण किरदार जो जया और फूल का सहायक बनता है। तथा यह दर्शाता है कि एक पुरुष भी महिलाओं के सपने को समझकर, समर्थन कर सकता है।

प्रदीप :- एक पारम्परिक, रुढिवादी सोच का पक्षकार जो महिलाओं के सशक्तिकरण के विपक्ष में है। प्रदीप का किरदार सामाजिक रूढ़िवादिता व अपेक्षाओं को दर्शाता है। यह किरदार महिला स्वतंत्रता के विरुद्ध खड़ा है, जो समाज में बदलाव की आवश्यकता को दर्शाता है।

इंस्पेक्टर श्याम : एक संवेदनशील, समझदार किन्नु भष्ट पुलिसकर्मी जो महिलाओं का पक्षकार भी है। यह  किरदार महिलाओं के विरुद्ध अपराधों का विरोधी तथा उनके अधिकारों का समर्थक है। 

फिल्म "लापता लेडिज न केवल महिलाओं के अधिकारों की बात करती है बल्कि समाज में महिलाओं के के प्रति संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर करती है। फिल्म महिला सशक्तिकरण, पारिवारिक संघर्ष और समाज में बदलाव लाने की कहानों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। एक रुढिवादी समाज जहाँ महिलाओं की आवाज़ को दबाया जाता, उसके विरुद्ध आवाज उगने के लिए यह फिल्म आपको नई प्रेरणा देती है।

"लापता लेडीज" समाज को मनोरंजन के साथ-साथ गंभीर सामाजिक मु‌द्दो को सोचने पर मजबूर करने वाली फिल्म है। कलाकारों के बहतरीन अभिनय ने फिल्म को वास्तविक बना दिया है, कि फिल्म देखने के बाद आप जब भी उस किरदार को सोचेंगे तो उसी कलाकार की कल्पना अपके मन में आएगी। लापता लेडीज ने अपने अनूठे प्रस्तुतीकरण  से बड़े बजट की फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए ऑस्कर की दौड़ में अपनी जगह बनाई है। इसकी प्रभावशाली कहानी, सटीक निर्देशन और लेखन तथा कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों के दिल में अलग जगह बना ली है। "लापता लेडीज" ने साबित कर दिया है कि अच्छी कहानी व उसका सटीक निर्देशन ही महत्वपूर्ण है जिस कारण  इसने न केवल ऑस्कर में जगह बनाई बल्कि भारतीय सिनेमा को भी मज़बूती दी है। यदि आप हास्य, तर्क-तंज व मनोरंजन से भरपूर कुछ देखना चाहते है वो भी पूरे परिवार के साथ तो यह फिल्म आपकी कसौटी पर बिल्कुल खरी उतरेगी।

(लेखक, एन.आई.टी.टी.टी.आर, भोपाल (मध्यप्रदेश) में हिंदी अनुवादक के साथ फिल्म समीक्षक हैं)

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