कृषि विज्ञान अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय में किसानों की आय में वृद्धि के उपाय पर एक विशेष व्याख्यान का किया गया आयोजन
गाय पालन से किसानों की आय बढ़ेगी एवं आर्थिक विकास तीव्र गति से होगा - एस. एस. नारंग
उज्जैन। प्राचीन काल में भारत की ग्रामीण इलाकों में कई परिवारों का लालन पोषण गाय पालन से होता रहा है। कृषि के साथ इस एलाइड एक्टिविटी के रूप में गाय पालन किसानों की आय का एक स्रोत बन गया था। वर्तमान में इस स्तोत्र को बिल्कुल भुला दिया गया है। आज आवश्यकता इस बात की है कि किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु पशुपालन का महत्व हमेशा बना रहेगा।
विश्व के एक कोने में बसा एक देश है न्यूजीलैंड , जिसकी कुल आबादी केवल 52 लाख है। इस देश का प्रत्येक नागरिक भारत के किसानों से 25 गुना अधिक अमीर है । दूध से निर्मित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों में पहुंच कर न्यूजीलैंड आज विकसित देश की श्रेणी में शामिल हो गया है। वहां पर मानव से ज्यादा गाय की संख्या है , गाय की कुल आबादी 61 लाख से अधिक है। गाय के दूध के उत्पाद 140 देशों में पहुंच कर न्यूजीलैंड आज विकसित देश की श्रेणी में शामिल हो गया है । उक्त उद्गार है सामाजिक संस्था परिवर्तन के अध्यक्ष एवं भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक एस एस नारंग के।
एस.एस.नारंग ने कृषि विज्ञान अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय में गाय पालन से किसानों की आय वृद्धि विषय पर आयोजित वर्कशॉप में व्यक्त किया ।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ.राजेश टेलर ने किया । उन्होंने भी छात्रों को संबोधित किया ।
एसएस नारंग ने आगे कहा कि भारत जनसंख्या की दृष्टि से भले ही आज विश्व में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है और न्यूजीलैंड आकार में भारत से 12 गुना छोटा है एवं जनसंख्या की दृष्टि से 260 गुना छोटा है परंतु भारत केवल 597000 टन डेयरी उत्पाद का निर्यात करता है और न्यूजीलैंड 18772000 टन डेयरी उत्पाद का निर्यात करता है। डेयरी उत्पाद के निर्यात से ही न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था चलती है ।
अप्रैल 2016 में केंद्र सरकार ने किसानों के आय में वृद्धि के संबंध में एक मंत्रालय समिति का गठन किया था एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए सात स्त्रोतों की पहचान की गई थी, समिति ने फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करना, गाय पालन एवं अन्य दुग्ध पशुधन की संख्या में वृद्धि एवं उत्पादकता में वृद्धि करना, संसाधन के उपयोग में दक्षता हासिल करते हुए कृषि गतिविधियों की उत्पादन लागत में कमी करना, फसल की सघनता में वृद्धि करना, किसानों को उच्च मूल्य वाली खेती के लिए प्रोत्साहित करना, उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाना आदि सम्मिलित है ।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर शोभा मालवीय द्वारा किया गया और आभार , डॉ मोनू विश्वकर्मा ने माना । इस कार्यक्रम के उपलक्ष्य में डॉ उमा पाटीदार , डॉ कविता, डॉ किरण परमार ,डॉक्टर प्रभु दयाल पवार ,डॉ पुष्पेंद्र सिंह घोष डॉक्टर अनिरुद्ध यादव, डॉक्टर पंकज डॉक्टर राजेश परमार, डॉक्टर रुचि यादव, डॉ अनीता यादव, डॉ प्रगति निगम , डॉ रंजना , कृषि विज्ञान अध्ययनशाला एवं सांख्यिकी अध्ययनशाला के अनेक शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे ।
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