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हिंदी में विज्ञान एवं तकनीकी लेखन के साथ अनुवाद कार्य में गति लानी होगी – प्रो शर्मा

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा पचहत्तर वर्षों में हिंदी पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था आजादी के पचहत्तर वर्षों में हिंदी :  क्या पाया, क्या खोया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा विभागाध्यक्ष, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि आज गौरव की अनुभूति होती है कि दुनिया के सौ से अधिक देशों में  हिंदी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग के साथ कई संस्थानों में उसके पठन-पाठन की व्यवस्था है। प्रयोक्ताओं की दृष्टि से विश्व में पहला स्थान हिन्दी भाषा का है। हिंदी में विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में मौलिक लेखन और अनुसंधान कार्य के साथ अनुवाद कार्य में गति लानी होगी। हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाएँ और बोलियाँ सही अर्थों में इस राष्ट्र के व्यक्तित्व को गढ़ती हैं, उनके बीच के सम्बन्धों को मजबूत करने की आवश्यकता है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारणों से सम्पूर्ण भारत में हिन्दी के व्यावहारिक रूप का प्रसार बहुत अधिक है। हिन्दीतर भाषी राज्यों में बहुसंख्यक द्विभाषिक - समुदाय दूसरी भाषा के रूप में हिन्दी का अधिक प्रयोग करता है। यह हिन्दी के सार्वदेशिक स्वीकृति का प्रमाण है।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे, महाराष्ट्र, कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि, हमें मोबाइल पर भी हिंदी में लिखना चाहिए। 

अध्यक्षीय भाषण में श्रीमती सरोज दवे प्रदेश उपाध्यक्ष, भोपाल, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा हिंदी हमारा गौरव है, यह ज्ञान का भंडार है।

श्री पद्मचंद गांधी, संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, ने कहा, हमारे देश की समृद्ध भाषा हिंदी है इसमें रोजगार के क्षेत्र में नए अवसर प्राप्त होने चाहिए।

श्री रणजीत सिंह अरोरा पुणे ने कहा, अपनी रचनाओं को बच्चों की तरह प्यार करें, संभाल कर लोगों तक पहुंचाएं। डॉ. अनीता तिवारी ने कहा, हिंदी हमारी विरासत है। श्रीमती आनंदी  ने कहा कि, विदेश में भी  सभी जगह हिंदी बोली जाती है। श्री ललित ने कहा, बच्चों के साथ व्यावहारिक भाषा का प्रयोग करें। श्रीमती रीता ने कहा, हिंदी की गरिमा के साथ अपनी गरिमा को जोड़ें।

डॉ. शहनाज शेख नान्देड़ महाराष्ट्र ने कहा, हमारा राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान है, उसी तरह राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी  नहीं है। डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया कि हमारे बच्चों को भी हिंदी बोलने के लिए प्रेरित करें। डॉ. दक्षा जोशी ने हिंदी पर कविता सुनाई।

कार्यक्रम का उत्तम संचालन डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. अरूणा सराफ, इंदौर प्रदेश सचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना  ने किया। स्वागत भाषण, श्रीमती गरिमा प्रपन्ना, इंदौर ने किया। प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने प्रस्तावित की। आभार प्रदर्शन डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने किया।

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