भारतीय ग्रंथों में श्लोकों, सूत्रों एवं सिद्धांतों से वैज्ञानिक तथ्य उजागर होते हैं - कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय शा. मो. ह. गृह विज्ञान एवं विज्ञान महिला महाविद्यालय जबलपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित
उज्जैन। शा. मो. ह. गृह विज्ञान एवं विज्ञान महिला महाविद्यालय जबलपुर, वनस्पति शास्त्र एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा एथनोबोटनी में प्राचीन बुद्धिमत्ता : पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ना विषय पर दिनांक 30 सितम्बर 2024 से 01 अक्टूबर 2024 को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने भाग लिया।
अपने वक्तव्य में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय कुलगुरु, (विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन) ने भारतीय संस्कृति स्वास्थ्य एवं अध्यात्म मैं पौधों का महत्व: विश्वास, विज्ञान एवं तथ्य विषय पर व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय चिंतन एवं प्राचीन ग्रंथों (ऋग्वेद, चरक संहिता, रामायण, रामचरितमानस, सुश्रुत संहिता) में वर्णित श्लोकों, सूत्रों एवं सिद्धांतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति में निहित वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर करते हुए पौधों के महत्व एवं संरक्षण के बारे में बताकर स्वस्थ समाज, राष्ट्र एवं विश्व का व्यावहारिक दर्शन कराया।
साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल मंत्र से अवगत करते हुए प्रो पाण्डेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय गुरुकुल पद्धति पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत नालन्दा और तक्षशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों का घर रहा हैं अतः भारत शिक्षा में सदैव अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि अब वह समय आ गया है जहां भारत के युवा मिलकर भारत की विश्व गुरु वाली छवि पुनः हासिल करे। ये जानकारी विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने दी।
Comments