भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में "साइंस, सोसाइटी एंड कल्चर: अ होलिस्टिक एप्रोच फॉर विकसित भारत" विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. रंजना अग्रवाल, निदेशक सीएसआईआर-निस्पर, उपस्थित थीं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भारत में अनादि काल से विज्ञान की परंपरा विद्यमान रही है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से मिले साक्ष्य इस बात का प्रमाण हैं कि उस समय के लोगों में विज्ञान की समझ थी। प्राचीन काल में भारत की महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों में महर्षि सुश्रुत द्वारा खोजी गई शल्य चिकित्सा प्रमुख है; उन्हें आज भी 'फादर ऑफ सर्जरी' के रूप में माना जाता है। नागार्जुन ने रसायन विज्ञान का आधार रखा। उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य और विज्ञान का विकास एक साथ होता है। विकसित भारत की कल्पना के लिए विज्ञान, समाज और संस्कृति के समग्र दृष्टिकोण का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विज्ञान हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा है। विज्ञान ने कठिन से कठिन कार्य को सरल बना दिया है। आज देश की तरक्की और अर्थव्यवस्था की ताकत विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर निर्भर करती है। विज्ञान को समाज या राष्ट्र से पृथक कर नहीं देखा जा सकता है।
कार्यक्रम के अंत में एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रोफेसर सीसी त्रिपाठी ने डॉ. रंजना अग्रवाल को उनके महत्वपूर्ण व्याख्यान के लिए धन्यवाद और अभिनंदन व्यक्त किया।
इस व्याख्यान में प्रोफेसर दिनेश अग्रवाल, कुलपति गुरुग्राम विश्वविद्यालय, गुरुग्राम और डॉ. एसएस पांडा, पूर्व निदेशक एनआईटीटीआर चेन्नई तथा संस्थान के संकाय सदस्य, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
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