23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में घोषित किया। सांकेतिक भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन को दुनिया भर में मनाया जाता है। 2018 में इससे पहले बार मनाया गया था। 23 सितंबर 1951 को विश्व बधिर संघ की स्थापना की गई थी, इसलिए इस दिन के महत्व को समझते हुए विश्व सांकेतिक भाषा दिवस भी इसी दिन मनाने का निश्चय किया गया।
लगभग 72 मिलियन बधिर व्यक्ति दुनिया भर में हैं, जिसका आकलन विश्व बधिर संघ ने किया है। इनमें से लगभग 80% लोग विकासशील देशों में रहते हैं। सामूहिक रूप से, वे 300 से अधिक विभिन्न सांकेतिक भाषाओं का उपयोग करते हैं। सांकेतिक भाषाओं को किसी भी अन्य बोली जाने वाली भाषा के बराबर दर्जा दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह "बधिर समुदाय की भाषाई पहचान को बढ़ावा देता है।" इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि यह बधिर समुदाय के अधिकारों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषाएँ हमें बाकी दुनिया से अलग थलग पड़े बधिर समुदाय को आम जन से जोड़ने में सहायता करती हैं। बधिर समुदाय, सरकारें, और सामाजिक संगठन अपने देशों के जीवंत और विविध भाषाई परिदृश्य के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय सांकेतिक भाषाओं को बढ़ावा देने और मान्यता दिलवाने के लिए सामूहिक प्रयास करते हैं। यह सांकेतिक भाषाओं की स्थिति को बनाए रखने की कोशिश करता है, जो दुनिया की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इस दिवस को मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव सांकेतिक भाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर देता है, क्योंकि यह बधिर व्यक्तियों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। विश्व में अनेकों सांकेतिक भाषाएँ हैं, और अधिकतर जगहों पर अपनी एक अलग मूल सांकेतिक भाषा होती है, जिसका अपना विशेष शब्दकोश होता है। कई देशों में एक से अधिक सांकेतिक भाषाएँ भी हैं।
बधिरों के लिए पहला स्कूल 18वीं शताब्दी में फ्रांस में 1771 में चार्ल्स-मिशेल डे ल'एपे द्वारा स्थापित किया गया था। ल'एपे बधिरों के लिए सांकेतिक भाषा की स्थापना करने वाले अग्रणी व्यक्ति थे और उन्हें बधिर शिक्षा के "पिता" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने इंस्टीट्यूट नेशनल डी ज्यूनेस सोर्ड्स डी पेरिस की स्थापना की।
फिंगरस्पेलिंग वर्णमाला का आधार ए.एल.ए.पी के संकेत आधुनिक अमेरिकी सांकेतिक भाषा और ए.एस.एल बने। अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा का उपयोग सुनिश्चित किया गया है। सांकेतिक भाषा का शब्दकोष बहुत सीमित है। सांकेतिक भाषा के महत्व को समझते हुए और बधिर व्यक्तियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस पर कार्य करना आवश्यक है, ताकि इसके शब्दकोश को विस्तारित किया जा सके।
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