स्वातंत्र्यचेता, मौलिक व्यक्तित्व के साथ विनोबा भावे ने किया देवनागरी लिपि के संवर्धन का कार्य - डॉ.शर्मा
विश्व लिपि देवनागरी का प्रसार एवं संवर्धन तथा आचार्य विनोबा भावे का योगदान पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
नागरी लिपि परिषद् के संस्थापक आचार्य विनोबा भावे जन्म दिवस एवं स्वामी विवेकानंद शिकागो व्याख्यान स्मृति के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना केंद्र उज्जैन, नागरी लिपि परिषद एवं भारत माता अभिनंदन संगठन मध्य प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में विश्व लिपि देवनागरी का प्रसार एवं संवर्धन तथा आचार्य विनोबा भावे का योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में अपना मंतव्य देते हुए प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा कि शांति और क्रांति का समुच्चय रहा विनोबा भावे का जीवन। विनोबा भावे स्वातंत्र्यचेता और मौलिक व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने देवनागरी लिपि के संवर्धन के प्रसार और संवर्धन का कार्य किया। उन्होंने सामाजिक और रचनात्मक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
महामंत्री नागरी लिपि परिषद् डॉ. हरि सिंह पाल ने कहा, अब नागरी लिपि संविधान की मान्य 22 भाषाओं में से 13 भाषाओं की लिपि है।
श्री बृजकिशोर शर्मा ,पूर्व शिक्षा अधिकारी, संरक्षक राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा ,जो व्यक्ति दूसरों के लिए कुछ कर सकता है, वही व्यक्ति दूसरों को प्रेरणा दे सकता है।
डॉ. रश्मि चौबे , गाजियाबाद, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, नागरी लिपि की विशेषताओं को पहचानते हुए आचार्य विनोबा भावे चाहते थे, भारत की सभी भाषाओं और बोलियों की लिपि नागरी लिपि भी हो।
डॉ. जया सिंह, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने कहा, सत्याग्रह का अर्थ- सत्य के लिए अनंत साहस हो ।
अध्यक्षीय भाषण में डॉ.शहनाज शेख ने कहा कि विनोबाजी का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि नेता बनो पर वह नेता नहीं जो अपने आदेशों से लोगों को झुकाए।
डॉ. अर्चना कुमारी चौधरी ने कहा, आचार्य विनोबा भावे ने, भूदान आंदोलन चलाकर भारत को मजबूत बनाया।
श्रीमती सुनीता मंडल, कोलकाता ने कहा कि, विवेकानंद जी हर बार माता से विवेक ही मांग पाए इसलिए उनका नाम विवेकानंद पड़ा।
श्री माया मेहता, प्रदेश सचिव, मुंबई ने कहा, भारत वासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भावे जी ने भूदान पर बल दिया।
कार्यक्रम का उत्तम संचालन डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने किया। कार्यक्रम की शुरूवात श्रीमती माया मेहता, मुंबई की सरस्वती वंदना से हुई। स्वागत भाषण डॉ. शहनाज शेख नांदेड़, महाराष्ट्र ने दिया। प्रस्तावना डॉ .अर्चना चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संयोजन कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना डॉ प्रभु चौधरी, उज्जैन ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद ने किया। कार्यक्रम में डॉ. जगताप आदि अन्य अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।
Comments