उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में रसायन एवं जैव रसायन, भौतिकी अध्ययनशाला तथा फार्मेसी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के सभागृह में प्रातः 10:00 बजे हुआ। कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती की वंदना के साथ हुआ।
उद्घाटन समारोह में उज्जैन उत्तर के विधायक श्री अनिल जैन कालूहेड़ा, प्रोफेसर रजनीश मिश्रा (आईआईटी इंदौर), प्रोफेसर कमलेश दशोरा, प्रोफेसर उमा शर्मा, डॉ. स्वाति दुबे और डॉक्टर नवीन नागराजन उपस्थित थे। डॉ. अनिल जैन कालूहेड़ा ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया और रसायन शास्त्र के रोचक तथ्यों को साझा किया। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए श्रोताओं को प्रोत्साहित किया।
अल्केमी हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉक्टर संजय ज्ञानी ने विद्यार्थियों को प्रेरणाप्रद उद्बोधन दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि आज की पीढ़ी ने आयुर्वेद के ज्ञान को नई दिशा में आगे बढ़ाया, तो हम विश्व में अपनी पहचान बना सकते हैं। उन्होंने प्राचीन ज्ञान परंपरा के आधार पर आयुर्वेदिक औषधियों के तत्वों के निर्यात की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉक्टर नवीन नागराजन ने शुभारंभ के अवसर पर कहा कि आत्मविश्वास के द्वारा असफलता को भी सफलता में बदला जा सकता है। पहले दिन के सत्र में प्रोफेसर रजनीश मिश्रा ने बीज वक्तव्य दिया।
डॉक्टर नवीन नागराजन, जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ उटाह, अमेरिका से हैं, ने माइक्रोनी और स्पेसिफिक सर्किट डिफेक्ट्स इन रिपिटेटिव बिहेवियर एंड न्यूरो साइकाइट्रिक डिसऑर्डर पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने ऑटिज्म अवेयरनेस विषय पर जानकारी दी। उन्होंने ऑटिज्म में बच्चों की पहचान और उनके समाधान पर अभिभावकों से संवाद किया।
इस सत्र में डॉक्टरों का पैनल शामिल था, जिसमें डॉक्टर सुभाष गर्ग, डॉ. प्रियंका गर्ग, डॉ. विवेक सिरोलिया और ऑनलाइन सत्र में डॉक्टर अनुराधा (एमएलबी मेडिकल कॉलेज, झांसी) उपस्थित थे। सभी डॉक्टरों ने ऑटिज्म प्रभावित बच्चों के अभिभावकों की समस्याओं को सुना और उचित परामर्श दिया। उन्होंने बताया कि बच्चों में ऑटिज्म की पहचान 2 वर्ष की आयु में होनी चाहिए और समाधान 12 वर्ष की उम्र तक किया जाना चाहिए। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को चिंता रहित और प्रसन्न रहने की सलाह दी गई।
इस अवसर पर मनो विकास केंद्र उज्जैन के थेरेपिस्ट भी उपस्थित थे। पैनल ने उनकी समस्याओं के समाधान पर चर्चा की। कार्यक्रम के उप समन्वयक डॉ. स्वाति दुबे ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अरीशा खान और सुश्री कर्णगी ठाकुर द्वारा किया गया।
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