Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय में विद्यार्थी हित में पूर्ण स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना का प्रयास किया जाएगा - सभापति श्रीमती कलावती यादव

छात्राओं के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार शिविर का आयोजन हुआ

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के विद्योतमा छात्रावास में छात्राओं के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार शिविर के साथ स्त्री रोग विशेषज्ञ का व्याख्यान का आयोजन किया गया।

विक्रम विश्वविद्यालय के आधारशिला दिवस के अवसर पर विद्योतमा एवं रमाबाई अम्बेडकर छात्रावास की छात्राओं के लिए छात्राओं के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार शिविर के साथ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मीनू निगम का विशेष व्याख्यान कराया गया। डॉक्टर निगम ने छात्राओं से चर्चा करते हुए उन्हें स्त्री रोग एवं उसके कारण के बारे में जानकारी दी। डॉक्टर निगम ने छात्राओं को पर्सनल हाइजीन के महत्व और उसे रखने के तरीकों के बारे में बताया। डॉक्टर निगम ने छात्राओं से कहा कि पढ़ाई में पूर्णतः ध्यान देने के लिए ये आवश्यक है कि वे अपना पर्सनल हाइजीन बनाए रखें तभी वे स्वस्थ रह पाएँगी। विद्योतमा छात्रावास की वार्डन प्रोफेसर अंजलि श्रीवास्तव एवं विद्यार्थी संकाय विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर एस के मिश्रा ने बताया कि सोमवार दिनांक 21 अक्टूबर को विद्योतमा और रमाबाई छात्रावास की बालिकाओं के लिए आरोग्य भारती, उज्जैन के सौजन्य से निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं के शुगर, बीपी, रक्त की मात्रा आदि की जांच की गई।

शिविर का उद्घाटन करते हुए उज्जैन नगर निगम की सभापति श्रीमती कलावती यादव ने किया। उन्होंने  सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य चेकअप के साथ उससे जुड़ी समस्याओं का निदान विक्रम विश्वविद्यालय का सराहनीय कार्य है। छात्राएं अपने खानपान और व्यायाम के साथ स्वास्थ्य की देखभाल और नियमित जांच करवाती रहें।निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव जी द्वारा छात्राओं के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता अपनाते हुए माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन  यादव जी की मंशा अनुसार बेटियों के उज्जवल भविष्य, स्वस्थ भविष्य हेतु विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में आरोग्य भारती के सहयोग से छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु आरोग्य भवन उपलब्ध कराए जाने का प्रयास किया जाएगा जिसमें छात्राओं के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य की संपूर्ण सेवाएं, जिसमे स्त्री रोग विशेषज्ञ, तथा एमडी मेडिसिन के विशेषज्ञ उपलब्ध हो जिससे समस्त विभाग की छात्राएं लाभान्वित होगी।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने कहा कि छात्राओं को छात्रावास में हर प्रकार की सुविधा प्राप्त हो इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन सदैव तत्पर है। उन्होंने कहा कि बालिकाएं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे पाएं इसके लिए उनका स्वस्थ रहना अनिवार्य है क्योंकि एक स्वस्थ तन में ही एक स्वस्थ मस्तिष्क का वास हो सकता हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सदैव छात्राओं के हित को प्राथमिकता देते हुईं ऐसे आयोजन की निरंतरता बनाए रखेगा। 

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव डॉ डी के बग्गा एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय के आधारशिला दिवस को मनाने का उत्तम तरीका यही है कि विद्यार्थियों के हित को प्राथमिकता दी जाए और इसी लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्राओं के स्वास्थ्य परीक्षण करने का निर्णय लिया। विद्यार्थी ही किसी भी संस्था की रीढ़ की हड्डी होते हैं और अगर ये स्वस्थ हैं तभी संस्था उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होगी।

शिविर में डॉ. दिवाकर पटेल शासकीय धन्वंतरि महाविद्यालय उज्जैन, मनीष अग्रवाल सचिव आरोग्य भारती उज्जैन महानगर, डॉ. दीपक जोशी, डॉ. सत्य प्रकाश अहिरवार, श्री राजेश जी बोराना रोगी कल्याण समिति सदस्य जिला चिकित्सालय, श्री जितेंद्र शर्मा, फार्मासिस्ट, डॉ. भावेश धवन जिला चिकित्सालय, सुश्री चंदा मकवाना सुश्री वैशाली सोनटक्के, नर्सिंग स्टाफ जिला चिकित्सालय उज्जैन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

आयोजन में प्रोफेसर उमा शर्मा, प्रोफेसर अंजना पांडे प्रोफेसर कमलेश दशोरा, प्रोफेसर डीडी बेदिया, डॉ सचिन राय, डॉ. निश्चल यादव, डॉ. नयनतारा डामोर आदि सहित छात्रावास स्टाफ और बड़ी संख्या में छात्राएं  उपस्थित थीं। 

प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा सरस्वती और धन्वंतरि पूजन किया गया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...