प्रकृति से दूर होना विकृति का कारण बनता है - प्रोफेसर आशीष शर्मा
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी "फ्यूचरिस्टिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी: ब्रिजिंग ट्रेडीशनल एंड मॉडर्न रिसर्च" के द्वितीय दिन, प्रमुख व्याख्याताओं ने अपने-अपने विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा की।
प्रथम व्याख्याता प्रोफेसर आशीष शर्मा, शासकीय धनवंतरी मेडिकल कॉलेज उज्जैन, ने "प्रकृति आयुर जिनोमिक्स" विषय पर वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में मनुष्य की प्रकृति की पहचान न केवल रोगों के उपचार के लिए आवश्यक है, बल्कि इसे आधुनिक आनुवांशिक अनुसंधान के साथ एकीकृत भी किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक मनुष्य की प्रकृति पृथक होती है और प्रकृति से दूर होना विकृति का कारण बनता है।
द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में, डॉ. मनमोहन सतनामी, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर ने "दाता एक्सेप्टर पेयर्स ऑफ़ नैनो मैटेरियल्स फॉर डेवलपमेंट का फ्रंट बेस्ट सेंसर" विषय पर चर्चा की। उन्होंने फ्लोरोसेंस रेजोनेंस एनर्जी ट्रांसफर तकनीक पर प्रकाश डाला, जिसमें दो फ्लोरोसेंट अणु एक-दूसरे के साथ इंटरैक्ट करते हैं।
डॉ. अरूप नियोगी, यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रॉनिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चीन, ने ऑनलाइन व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने "कंट्रोलिंग फ्लूईड फ्लो बाय मैनिपुलेटिंग साउंड" विषय पर चर्चा की।
डॉक्टर विपुल बिहारी साहा, एग्जीक्यूटिव बोर्ड मेंबर आईयूपीएसी, ने आईयूपीएसी और उनके बहुआयामी गतिविधियों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने आईयूपीएसी के नामकरण, प्रतीक और अंतरराष्ट्रीय महत्व को प्रस्तुत किया और ग्लोबल वूमेन ब्रेकफास्ट के आयोजन के बारे में बताया।
डॉ. प्रियूषा बागदरे, रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर, चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल इंदौर, ने रेडियोथेरेपी तकनीकों में आधुनिक प्रगति पर बात की। उन्होंने कैंसर और उसके उपचार, कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी के विषय में विस्तृत जानकारी दी।
प्रोफेसर संगीता शर्मा, हेमचंद्र आचार्य उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय, पाटन, ने आणविक गतिशीलता सिमुलेशन के माध्यम से हर्बल पौधों के न्यूरो प्रोटेक्टेंट्स की क्रियाशीलता और फार्मास्यूटिकल क्षमता का कंप्यूटेशनल मूल्यांकन विषय पर व्याख्यान दिया।
डॉक्टर इंद्रपाल खरपाल, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, ने बोरोन कार्बन नाइट्राइड बैटरी के विषय में नवीनतम जानकारियां प्रदान की।
यह संगोष्ठी विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में ज्ञान का आदान-प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म साबित हुई।
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