मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाना आवश्यक- डॉ. धर्मिष्ठा शर्मा
विक्रम विश्वविद्यालय के पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान (जेएनआईबीएम) में राष्ट्रीय बदलाव दिवस पर एसडीजी-3 मानसिक स्वास्थ्य-प्रबंधन मनोवैज्ञानिक संतुलन का बहुकोणीय संबंध पर रोचक व्याख्यान संपन्न
उज्जैन। राष्ट्रीय बदलाव दिवस हर साल अक्टूबर महीने के चौथे शनिवार को मनाया जाता है। इस वर्ष 26 अक्टूबर को राष्ट्रीय बदलाव दिवस मनाया गया, सामुदायिक विकास के 17 सतत विकास लक्ष्यों और 169 लक्ष्यों आधारित संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा मानव समाज के उत्थान लक्ष्यों की परस्पर संबद्धता को दर्शाता है। इसमें बढ़ती आर्थिक और सामाजिक स्वास्थ्य असमानताओं, तेजी से बढ़ते शहरीकरण, जलवायु-पर्यावरण के खतरे, संक्रामक रोगों का बोझ और गैर-संचारी रोगों, मानसिक स्वास्थ्य जैसी उभरती चुनौतियों को भी चिन्हित किया गया है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एसडीजी-3 को प्राप्त करने हेतु मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है। किशोरों और युवा वयस्कों में मृत्यु के कई मुख्य कारणों का पर्यावरण से गहरा संबंध है, जिसमें अनजाने में लगी चोटें, यातायात परिवहन की असावधानियाँ, चोटें और दुर्घटनाएँ शामिल हैं। युवा लोगों को उनके विकासात्मक शरीर विज्ञान और अपरिपक्व प्रणालियों के कारण पर्यावरणीय खतरों और प्रदूषण का अधिक खतरा होता है। तेजी से बढ़ती इस आबादी के युवा वर्ग में मनोवैज्ञानिक विकास जागरूकता कार्यक्रमों से विद्यार्थियों को विशेष रूप से सशक्त बनाए रखना होगा।
उक्त रोचक तथ्य व्याख्यान श्रृंखला में बतौर अतिथि वक्ता, शिक्षण शास्त्री डॉ. धर्मिष्ठा शर्मा, प्राध्यापक लोकमान्य तिलक शिक्षण महाविद्यालय, उज्जैन ने अपने विशिष्ट व्याख्यान में विक्रम विश्वविद्यालय के पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान (जेएनआईबीएम) में दिए। मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2021 में "मानस: एप" (मेंटल हेल्थ एंड नॉर्मलसी ऑग्मेंटेशन सिस्टम) मोबाइल ऐप के बारे में जानकारी दी।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने संदेश में इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि युवाओं को चुनौतीपूर्ण दायित्वों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में इस प्रकार के आयोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतिथि वक्ता ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समकालीन प्रासंगिकता के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार साझा किए और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व से भी अवगत कराया।
आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. नयनतारा डामोर ने बताया कि अंत में प्रश्नोत्तर सत्र में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और उनके सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने अतिथि वक्ता डॉ. शर्मा का परिचय देते हुए समसामयिक रोचक व्याख्यान श्रृंखला की जानकारी दी।
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