राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस आयुष मंत्रालय भारत सरकार वर्ष 2016 से हर वर्ष कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि के अवतरण दिवस आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाता है। आयुर्वेद को आधुनिक समय में भी समान रूप से प्रासंगिक चिकित्सा की सबसे प्राचीन और अच्छी तरह से प्रलेखित प्रणाली के रूप में माना जाता है
प्रयोजनं चास्य स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणमातुरस्य विकारप्रशमनं च।।
जिसमें रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने दोनों पर उचित ध्यान दिया जाता है।
इस वर्ष नवम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 29 अक्टूबर 2024 को संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाएगा।
आयुर्वेद दिवस 2024 का विषय है” वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार”।
आयुर्वेद दिवस के उद्देश्य
१.वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियां जैसे गैर संक्रामक व्याधियों,एंटी माइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस, मेंटल हेल्थ, न्यूट्रीशनल डिसऑर्डर जीवन शैली संबंधी रोग जैसे उच्च रक्तचाप, कैंसर ,हृदय रोग आदि वृद्धावस्था संबंधी विकार आदि का मुकाबला करना।
२. रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना
3. सतत विकास लक्षण और सार्वभौमिक स्वास्थ्य को प्राप्त करना
4. आयुर्वेद और समकालीन विज्ञान के वैज्ञानिकों के बीच नवाचार को प्रोत्साहित करना
आयुर्वेद केवल चिकित्सा विज्ञान नहीं बल्कि उपचार विज्ञान के रूप में अपने दृष्टिकोण में आज अद्वितीय है इसे सही मायने में जीवन का विज्ञान माना जाता है यह उपचार के सभी पहलुओं को उचित महत्व देता है कोविड महामारी की स्थिति में न केवल शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ आयुर्वेद रोग से स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से खुशी की ओर बढ़ाता है।
आयुर्वेद की अवधारणाएं और प्रथाएं हमारे समुदाय में गहराई से निहित है बसंत ऋतु में होली के अनुष्ठान के रूप में एक आम अग्नि चलाना कफ प्रकोप को कम करने के लिए मौसम में दी जाने वाली सार्वजनिक स्वेदन का प्रतिबिंब है सर्दियों के मौसम में पढ़ने वाली मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने की रस्मो का पालन करने से स्वास्थ्य की मजबूती बढ़ती है।
आयुर्वेद की ताकत यह है कि वह व्यक्ति परक, निवारक पूर्व अनुमानित भागीदारी है।
लोक पुरुष साम्य सिद्धांत के अनुसार जो कुछ भी बाहर मौजूद है वह अंदर भी मौजूद है स्थूलऔर सूक्ष्म जगत के बीच एक सामंजस्य और तालमेल मौजूद है। भारत सरकार के विशेष प्रयास से आयुर्वेद को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में 24 देशों में कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई है आज आयुर्वेद के उत्पादों का 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक इकाई जामनगर गुजरात में वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र के रूप में स्थापित की गई है। आयुर्वेद केंद्रों के माध्यम से इस वर्ष आयुर्वेद और महिला स्वास्थ्य, आयुर्वेद नवाचार और उद्यमिता, आयुर्वेद और कार्य स्थल पर स्वास्थ्य कल्याण विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद ,आहार और नवाचार विषय पर गोष्ठियां ,शिविरों का आयोजन किया गया है। आयुर्वेद का यह विश्वास है कि आयु से दीर्घायु, दीर्घायु से सुखायु, सुखायु से हितायू के द्वारा नागरिक अपने कर्तव्य का पालन कर सके।
✍️ डॉ जितेंद्र जैन, आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, शासकीय आयुर्वेद औषधालय, करोहन, उज्जैन, मध्यप्रदेश
✍️ डॉ प्रकाश जोशी, प्राध्यापक, शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय, उज्जैन, मध्य प्रदेश
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