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जिन्दगी सत कर्म करने की साधना है - ब्रह्माकुमारी रूबी बहन

उज्जैन।  जिन्दगी हार-जीत का खेल है ।जिन्दगी को दोष मत दीजिए, बस खेलते रहे ,पुरुषार्थ करते रहे ।  सफलता अवश्य मिलेगी । श्रेष्ठ कर्म की कलम से भाग्य की रेखा खींचते रहें । जिन्दगी सत कर्म करने के लिए  प्रभु प्रसाद के रुप मे मिली है, मेहनत करने वालों की हार नहीं होती है। दृढता से विजय प्राप्त हो ही जाती है 

उक्त विचार ब्रह्माकुमारी रूबी बहन ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ई .वि. विद्यालय द्वारा आयोजित 'ज्ञान वर्षा ' नवरात्रि आध्यात्मिक प्रवचनमाला के दूसरे दिन 'जीवन जियो ना की गुजारो ' विषय पर व्यक्त किए।  आपने कहा कि जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिए खुद को बदलो , उमंग उत्साह में रहो ,नकारात्मकता को हटा ओ । मिजाज ऐसा बनाओ कि कोई कुछ कहे आप मुस्करा दो । 

डॉक्टर श्रीपाद देशमुख ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि संसार में ज्ञान बहुत है लेकिन आवश्यकता है आत्मसात करने की । ज्ञान को आत्मसात करने से ही जीवन परफेक्ट बनता है । डाक्टर विमल गर्ग , समाजसेवी  ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जीना है तो जीवन को समझना पड़ेगा।  व्यक्ति को अपनी सोच बदलना चाहिए क्यों कि सोच ही उसके कर्म को प्रभावित करता है ।      

ब्रह्माकुमारी  उषा दीदी ने कहा कि जीवन क्या है ? उसे समझना होगा । उसके भी पहले शरीर और आत्मा के भेद को समझना होगा । आत्मा इस शरीर द्वारा शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करती है । वास्तव में ,आत्म निर्वाह का ज्ञान होना आवश्यक है जिसे आत्म निर्वाह का ज्ञान हो जाता है वही सच्चा जीवन जीता है । आत्म निर्वाह  के लिए आध्यात्मिक ज्ञान, योग, ध्यान और धारणा की आवश्कता है जिसका लम्बे समय तक अभ्यास आवश्यक है । मनुष्य शरीर निर्वाह तो जेसे तेरे कर लेगा परन्तु आत्मनिर्वाह हेतु उसे राजयोग सीखना चाहिए।  

इस अवसर पर भारी संख्या में श्रोतागण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे । ब्रह्माकुमारी निरूपमा बहन ने कार्यक्रम का सुचारु संचालन किया । 

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