उज्जैन, विक्रम विश्वविद्यालय और यहां के विद्यार्थी मेरे हृदय के सदैव बहुत करीब रहेंगे, मैं आवश्कता पड़ने पर सदैव इनके लिए उपलब्ध रहूंगा - प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने अपने कार्यकाल की सफलता के लिए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया
उज्जैन: दिनांक 3 अक्टूबर 2024 को विक्रम विश्वविद्यालय के नवीन कुलगुरू का आदेश आते ही कुलगुरू प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय का कार्यकाल खत्म हुआ, हालाकि वे नवीन कुलगुरू के पदभार ग्रहण करने तक पद पर बने रहेंगे। शुक्रवार दिनांक 4 अक्टूबर को कुलगुरु प्रोफेसर पाण्डेय ने अंतिम बार सभी विभागों का भ्रमण कर विभाग में उपस्थित शिक्षकों एवं कर्मचारियों को धन्यवाद दिया।
विभाग के शिक्षकों और कर्मचारियों से चर्चा करते हुए माननीय कुलगुरु जी ने कहां कि विक्रम विश्वविद्यालय का प्रांगण हर तरह से हरा-भरा और समृद्ध हैं। मुझे हर्ष हैं की मुझे 4 वर्ष इस विश्वविद्यालय से जुड़ने का अवसर मिला। मैंने अपनी ओर से विश्वविद्यालय के उत्थान का हर संभव प्रयास किया। विद्यार्थी किसी भी विश्वविद्यालय की रीड की हड्डी होते हैं अतः विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के अनुरूप कई रोजगारपरक पाठ्यक्रम खोले गए जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई। जहां 2019-2020 में विश्वविद्यालय में 2500 विधार्थी थे आज ये संख्या बड़कर 12,000 हो गई हैं। इन्ही विद्यार्थियों के उत्थान हेतु विश्वविद्यालय ने कई शासकीय एवं गैर-शासकीय संस्थानों से एम ओ यूं भी लिए जिससे विद्यार्थियों को शोध एवं अनुसंधान में भी फायदा मिला। इस दौरान वृक्षमित्र जैसी संस्थानों से मिलकर विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 35,000 फोधो का रोपण किया गया।
माननीय कुलगुरु जी ने कहां कि, आज मैं मेरे कार्यकाल के इन 4 वर्षो में मेरे साथ जुड़कर काम कर विश्वविद्यालय को प्रगति के पथ पर लाने वाले सभी विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों का धन्यवाद करना चाहता हूं। साथ ही में विश्वविद्यालय परिक्षेत्र में पोधारोपण से जुड़ी सभी संस्थाओं और उज्जैन शहर के आम नागरिकों का दिल से धन्यवाद करता हूं, उनके साथ से ही ऑक्सीजन टैक्स जैसी संकल्पना संभव हो पाई हैं। मैं उज्जैन शहर के मीडिया को भी विशेष धन्यवाद देता हूं जिसने सदैव हमारे विश्वविद्यालय में हो रही प्रगति को विद्यार्थियों तक पहुंचाया हैं, जिससे विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई हैं।
माननीय कुलगुरु जी ने कहां कि उज्जैन, विक्रम विश्वविद्यालय और यहां के विद्यार्थी मेरे हृदय के सदैव बहुत करीब रहेंगे, मैं आवश्कता पड़ने पर सदैव इनके लिए उपलब्ध रहूंगा। मां क्षिप्रा के तट पर बसी बाबा महाकाल की नगरी, भगवान श्री कृष्ण की शिक्षास्थली और महान सम्राट विक्रमादित्य की उज्जैनी नगरी को नमन करता हूं, और विक्रम विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे ऐसी मंगल कामना करता हूं।
इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अनिल शर्मा, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा सम्मेद विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों ने कुलगुरु जी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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