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विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ कालिदास प्रसंग के अंतर्गत विशिष्ट व्याख्यान एवं परिसंवाद का आयोजन

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की संस्कृत ज्योतिर्विज्ञान वेद अध्ययनशाला, अंग्रेजी अध्ययनशाला एवं हिंदी अध्ययनशाला द्वारा कालिदास समिति एवं कालिदास संस्कृति अकादमी के सहयोग से अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2024 के पूर्वरंग के अंतर्गत कालिदास प्रसंग - विशिष्ट व्याख्यान एवं परिसंवाद का आयोजन किया गया। 

इसकी जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक प्रो बी के आंजना विभागाध्यक्ष संस्कृत ज्योतिर्विज्ञान वेद अध्ययनशाला उज्जैन  ने बताया कि इस प्रतिष्ठापूर्ण कार्यक्रम के अध्यक्षता माननीय प्रो अर्पण भारद्वाज कुलगुरु विक्रम विश्वविद्यालय ने की। सारस्वत अतिथि प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि प्रो अंजना पांडे विभाग अध्यक्ष अंग्रेजी अध्ययनशाला तथा मुख्य वक्ता महामहोपाध्याय डॉ गोविंद गन्धे निदेशक कालिदास संस्कृत अकादमी थे।


 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु अर्पण भारद्वाज ने सभी विद्यार्थियों से अखिल भारतीय कालिदास समारोह को सफल बनाने के लिए आवाहन करते हुए कहा कि सभी विद्यार्थी शोधार्थी आचार्य गण, कला साधक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित होकर समारोह को सफल बनाएं। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि कालिदास जहां सामान्य जन को प्रकृति के प्रति सचेत करते हैं वही वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। 


सारस्वत अतिथि कुलानुशासक एवं कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कालिदास की विभिन्न कृतियों को संदर्भित करते हुए उनके विश्वव्यापी दृष्टिकोण, राष्ट्रीय एवं मानवीय मूल्यों के संवाहक की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कालिदास कालजयी कवि हैं। उनकी रचनाओं ने काव्यशास्त्र की मान्यताओं को विकसित और परिवर्तित करने के लिए विवश किया। वे भारत की सांस्कृतिक अस्मिता के प्रतिनिधि रचनाकार हैं। उनकी रचनाएँ धरा और स्वर्ग, राग और तप को एकसूत्र में पिरोती हैं। 


अकादमी के निदेशक डॉ गोविंद गंधे ने कालिदास साहित्य को सामयिक सन्दर्भों में प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि महाकवि कालिदास की दृष्टि प्रकृति और मनुष्य के मध्य समन्वय की भूमिका बनाती है। 

  

संस्कृत ज्योतिर्विज्ञान वेद अध्ययनशाला की गतिविधियों की जानकारी डॉक्टर रश्मि मिश्रा ने दी। 

संचालन डॉक्टर महेंद्र पंड्या ने किया। आभार डॉ गोपाल कृष्ण शुक्ल ने माना । 

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं अनेक विभागों के अध्यक्ष सम्मिलित हुए।

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