Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ विश्व सभ्यता को संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परम्परा की देन पर विशिष्ट व्याख्यान एवं परिसंवाद

संपूर्ण विश्व की धरोहर हैं संस्कृत और वेद, जिनकी ओर है पूरी दुनिया का ध्यान  – पूर्व कुलाधिपति प्रो प्रफुल्ल मिश्रा 

संपूर्ण विश्व सभ्यता की प्राचीनतम ज्ञाननिधि हैं वेद – प्रो शर्मा 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला एवं ललित कला अध्ययनशाला द्वारा शुक्रवार को दोपहर में विशिष्ट व्याख्यान एवं परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह परिसंवाद विश्व सभ्यता को संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परम्परा की देन पर केंद्रित था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष एवं पूर्व कुलाधिपति प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार मिश्रा, भुवनेश्वर थे। कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रोफ़ेसर गीता नायक एवं प्रोफेसर जगदीश चंद्र शर्मा ने परिसंवाद में विचार व्यक्त किए। 

विशिष्ट व्याख्यान देते हुए प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार मिश्रा भुवनेश्वर, उड़ीसा ने कहा कि पश्चिम के लोगों ने देश में विभाजन के बीज बोए, किंतु पूरे देश में स्वाभाविक एकता बनी हुई है। संपूर्ण विश्व सभ्यता को संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परंपरा का अविस्मरणीय योगदान है। संस्कृत और वेद संपूर्ण विश्व की धरोहर है, जिनकी ओर पूरी दुनिया का ध्यान जा रहा है। आज पश्चिम के लोगों का ध्यान योग, तंत्र और आयुर्वेद की ओर जा रहा है। उनका ध्यान साहित्य की सूक्ष्मता की ओर भी जाए यह जरूरी है। भारत की सभी भाषाओं में एकसूत्रता विद्यमान है। असंख्य शब्द थोड़े से अंतर से सभी भारतीय भाषाओं और बोलियों में प्रचलित हैं।

हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि वैदिक वाङ्मय संपूर्ण विश्व सभ्यता की प्राचीनतम ज्ञाननिधि है। किसी भी भाषा के उद्भव के बाद ऋग्वेद जैसी दिव्य एवं अलौकिक कृति का सृजन कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता है। यूनेस्को द्वारा वेदों को अमूर्त विरासत के रूप में स्थान मिला है। आज संस्कृत सहित भारतीय भाषाओं और बोलियों के बीच एकता को अधिक मजबूती देने की आवश्यकता है। संस्कृत एवं प्राचीन ज्ञान परम्परा के अवदान और प्रभाव को सभी भारत के सभी क्षेत्रों, भाषाओं और बोलियों में देखा जा सकता है। संस्कृत अपनी महान विशेषताओं के कारण आज भी उतनी ही प्रासंगिक एवं जीवंत है, जितनी यह प्राचीन काल में थी।

 

इस अवसर पर प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार मिश्रा को अंग वस्त्र एवं साहित्य भेंट कर उनका सारस्वत सम्मान कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं आचार्यगण द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में डॉ प्रतिष्ठा शर्मा, कलागुरु श्री एलएन सिंहरोडिया, डॉ महिमा मरमट, डॉ अमृता अवस्थी, डॉ नेहा सिंह, श्री शम्भूनाथ मंडल, उड़ीसा आदि सहित अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

 

कार्यक्रम का संचालन प्रो जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन प्रोफ़ेसर गीता नायक ने किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar