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भारतीय चिंतन से व्यवहार तक है शक्ति तत्व की महिमा – प्रो शर्मा

हमारे पर्व हमें व्यापक मानवता से जोड़ते हैं - डॉ. पाल

शक्ति की अवधारणा एवं उपासना : दर्शन, साहित्य एवं संस्कृति पर हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी में मंथन

देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में शक्ति की अवधारणा एवं उपासना : दर्शन, साहित्य एवं संस्कृति विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी  में मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल थे। 

डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा कि भारतीय चिंतन से व्यवहार तक शक्ति तत्व की महिमा है। शक्ति की सत्ता को वेदों और पुराख्यानों में विशेष महत्व मिला है। शक्ति के बिना शिव भी शव है। नवरात्रि पर्व नारी शक्ति के प्रति आस्था के साथ मनुष्य को प्रकृति और पर्यावरण के महत्त्व से जोड़ता है। कृषि, वन्य और पर्वतीय संस्कृति के साथ मानव सभ्यता के रिश्तों को मजबूती देने का पाठ पढ़ाता है।

डॉ हरिसिंह पाल नई दिल्ली ने मुख्य अतिथि के रूप में मंतव्य देते हुए कहा कि हमारे पर्व हमें व्यापक मानवता से जोड़ते हैं। नवरात्रि पर्व मनसा, वाचा, कर्मणा  शुद्ध होने का पर्व है।

डॉ. दक्षा जोशी , गुजरात, उपाध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, मोहनजोदड़ो में 4000 ईसा पूर्व के मिले अवशेष में शक्ति की मूर्तियां पाई गईं जिससे सिद्ध होता है कि, शक्ति उपासना अति प्राचीन है।

डॉ. सुवर्णा जाधव पुणे महाराष्ट्र, कार्यकारी अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा – गरबा नृत्य में गोल घूमना जीवन से मृत्यु के चक्र को दर्शाता है।

डॉ. अनसूया अग्रवाल छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि हमारे देश के मुनियों ने साधना द्वारा जगद्गुरु का स्थान प्राप्त किया है।

डॉ. अर्चना कुमारी ने कहा कि अखिल ब्रह्मांड के चराचर जितने भी प्राणी हैं, उनका सृजन, पालन हेतु मां ने अनेक समय में अनेक रूप में अवतार लिया।

स्वयं के मौलिक विचार रखते हुए डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने उत्तम संचालन किया। प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी, कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने प्रस्तुत की और आभार डॉ. शहनाज शेख ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, हम देवी मानते हैं तो उनके साथ दुर्व्यवहार न करें। गोष्ठी में अनेक गणमान्य जन उपस्थित  रहे।

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