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विक्रम विश्वविद्यालय में प्रो. भारद्वाज बने नए कुलगुरु : अंतर्राष्ट्रीय पहचान की दिशा में लिया संकल्प

पदभार ग्रहण समारोह में धूमधाम का माहौल

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में सोमवार, 07 अक्टूबर, 2024 को नए कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने अभिजीत मुहूर्त में पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और पौधा रोपण किया। इसके बाद कुलगुरु कार्यालय में निवर्तमान कुलगुरु प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय से चार्ज लिया। समारोह में बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी और अधिकारी उपस्थित थे।

विशेष स्वागत समारोह

प्रो. भारद्वाज के स्वागत के लिए शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी विशेष रूप से विश्वविद्यालय पहुंचे। उनका स्वागत ढोल-ढमाकों के साथ हुआ, और विक्रमादित्य की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। पौधारोपण के बाद कुलगुरु कार्यालय में अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। चार्ज लेते समय कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा, कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, महर्षि पाणिनि संस्कृत विवि के कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी सहित कई शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।

अंतर्राष्ट्रीय पहचान की दिशा में दृष्टिकोण

पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में प्रो. भारद्वाज ने कहा कि उनका उद्देश्य विक्रम विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। उन्होंने स्पष्ट किया, "हम विश्वविद्यालय को ऐसे मुकाम पर ले जाएंगे, जहां पूरी दुनिया उज्जैन और विक्रम विश्वविद्यालय को जानेगी।" इसके साथ ही, उन्होंने काल गणना के केंद्र के रूप में विश्वविद्यालय को स्थापित करने के प्रयासों को तेज करने का संकल्प व्यक्त किया।

ग्लोबल प्रतिस्पर्धा के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना प्राथमिकता

प्रो. भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान युग प्रतिस्पर्धा का है, और विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना होगा। नैक के नए मूल्यांकन पद्धति के तहत विश्वविद्यालय को "इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस" के स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने जोर दिया कि विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए वे कभी नहीं रुकेंगे और निरंतर प्रगति की दिशा में प्रयास करेंगे।
















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