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झोपड़ी-झोपड़ी और खोपड़ी-खोपड़ी तक फैल चुका है जननायक बिरसा मुंडा का प्रभाव: विजय मनोहर तिवारी

जनजातीय गौरव बिरसा मुंडा जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में 'बिरसा मुंडा जयंती' 15 नवम्बर की पूर्व संध्या पर जनजातीय समुदाय के योगदान पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें श्री विजय मनोहर तिवारी, पूर्व सूचना आयुक्त, मध्य प्रदेश ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में श्री तिवारी ने महान आदिवासी नेता और समाज सुधारक बिरसा मुंडा के कृतित्व और व्यक्तित्व पर गहराई से चर्चा की।

अपने व्याख्यान में श्री तिवारी ने कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने 25 वर्ष के अल्प जीवन में आदिवासी समुदाय के लिए अनगिनत योगदान दिए। उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई, धर्म परिवर्तन का विरोध, शिक्षा और साक्षरता का प्रचार, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का विरोध किया और उनके सांस्कृतिक तथा धार्मिक परंपराओं की रक्षा की। बिरसा मुंडा का जन्म 1872 में झारखंड के रांची जिले में हुआ था और उनकी मृत्यु 1901 में हुई, लेकिन उनका योगदान आज भी आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। 

श्री तिवारी ने कहा, “आज यदि आपसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची बनाने को कहा जाए, तो शायद आप 10-15 नामों से अधिक न लिख पाएंगे, जबकि इस आंदोलन में लाखों लोग शामिल हुए और कई शहीद हुए। बिरसा मुंडा से प्रभावित स्वाध्याय परिवार की भूमिका को भी उन्होंने महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि आज भी उनके एक आह्वान पर लाखों लोग एकत्र होते हैं।”

कार्यक्रम के दौरान एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रो. सी. सी. त्रिपाठी ने कहा, “यह बहुत अद्भुत है कि जिस उम्र में युवा ठीक से जीवन और समाज को समझ भी नहीं पाते, उसी उम्र में बिरसा मुंडा ने समाज को संगठित कर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। बिरसा मुंडा का प्रेरक व्यक्तित्व और उनके कार्यों के बारे में जानकारी सभी को होनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी को उन शहीदों के योगदान को भी समझना चाहिए जो शायद इतिहास के पन्नों में नहीं दिखते हैं। हमारा इतिहास समृद्ध और गौरवपूर्ण रहा है, हमें इसे पहचानना और उस पर गर्व करना चाहिए।”

कार्यक्रम के समापन पर प्रो. पी.के. पुरोहित ने कहा कि समाज को अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए, अन्यथा वह कहीं का नहीं रहेगा। संस्थान के निदेशक ने इस अवसर पर निर्णय लिया कि बिरसा मुंडा के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई जाएगी, जिसे देशभर के संस्थानों में प्रदर्शित किया जाएगा।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रवि गुप्ता थे, जबकि संचालन श्रीमती रचना गुप्ता ने किया। इस अवसर पर संस्थान में कार्यरत आदिवासी समाज के अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।

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