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भारतीय दर्शन में शब्दों से अधिक आचार-विचार और वेशभूषा की महत्ता

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजकुमार आचार्य का मार्गदर्शन

सफलता का मूलमंत्र: परिश्रम और दिनचर्या का अनुशासन - कुलगुरु डॉ. राजकुमार आचार्य  

भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ने की आवश्यकता - विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार भारल

उज्जैन। भारतीय दर्शन शब्दों से नहीं, बल्कि आचार, विचार और वेशभूषा में झलकता है, यह विचार अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजकुमार आचार्य ने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के वाणिज्य अध्ययनशाला के विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति और दर्शन का वास्तविक रूप हमारे आचार-व्यवहार और जीवन के प्रत्येक पहलू में दिखाई देता है।  

डॉ. आचार्य ने विद्यार्थियों से यह भी कहा कि सफलता का मूलमंत्र परिश्रम और समय की सटीकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने दैनिक कार्यों के प्रति ईमानदारी और अनुशासन बनाए रखने का आह्वान किया। साथ ही, यह भी बताया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, और जो लोग लगातार मेहनत करते हैं, वे ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।  

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाणिज्य अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार भारल ने अपने उद्बोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हम भारतीय साहित्य का अध्ययन और मनन करके ही ज्ञान के विश्व गुरु के रूप में पुनः प्रतिष्ठित हो सकते हैं। भारत का पारंपरिक ज्ञान और विज्ञान पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, और हमें इसे समझकर, अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में रतलाम के प्रो. सुरेश कटारिया ने भी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल एक विधा नहीं, बल्कि जीवन की सच्ची समझ है, जो हमें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाती है।

इस अवसर पर डॉ. अनुभा गुप्ता, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. आशीष मेहता, डॉ. कायनात तवर, डॉ. परिमिता सिंह और डॉ. नागेश पाराशर भी उपस्थित थे। सभी ने विद्यार्थियों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी और शिक्षा के महत्व पर विचार व्यक्त किए।  

कार्यक्रम का संचालन डॉ. रुचिका खंडेलवाल ने किया। उनका योगदान कार्यक्रम को सफल और व्यवस्थित बनाने में महत्वपूर्ण रहा।

इस कार्यक्रम ने विद्यार्थियों को भारतीय दर्शन, संस्कृति, और ज्ञान की गहरी समझ देने के साथ-साथ सफलता के लिए अनुशासन और परिश्रम की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। इस प्रकार के मार्गदर्शन से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास हुआ, जो उनके भविष्य के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

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