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तमसो मा ज्योतिर्गमय से छठ पूजा तक - मेधा बाजपेई

अगर कोई कहे की सबसे खूबसूरत, सूर्योदय या सूर्यास्त कहाँ का है।

तो बहुत से उत्तर मिल जायेंगे और उसको प्रामाणिक करने के विचार भी। जगह का चुनाव मेरा नहीं होता है पर उस जगह को अलौकिक तरीके से महसूस करना उसे अद्वितीय बनाता है।

सूर्योदय के साथ साथ, विज्ञान भी इस अद्वितीय प्रक्रिया के पीछे चित्रित है। सूर्योदय का कारण बचपन से पढ़तेआये हैं, पृथ्वी का तिरछा आकार, और गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है। यह एक सूक्ष्म प्रक्रिया है जिसमें गुण, कारण, और परिणाम का सब हमें नए एक दिन की शुरुआत के साथ-साथ विज्ञान और साहित्य का सुंदर संगम प्रदान करता है, जिससे हम न केवल अपने पर्यावरण के साथ जुड़े रहते हैं बल्कि अपने अंतर मन की ऊर्जा को भी सकारात्मक रूप से बढ़ाते हैं।

मैं हमेशा चमत्कृत होती हूँ ,उत्साहित होकर अचंभित जब भी इस प्राकृतिक घटना सूर्योदय और सूर्यास्त को देखती हूँ तो ऐसा लगता है पहली बार देख रही हूँ ।नित नये रूपों में और नये आयामों में देखना से मन कभी भरता ही नहीं है।

सूर्योदय को हमेशा अवसर, आरंभ,आगाज ,उन्नति, सफलता आशा और प्रेरणा से जोड़कर देखा जाता रहा है पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी हिस्से पर सूर्य की प्रकाशमान होने की प्रक्रिया है। सूर्योदय नए दिन की शुरुआत को दर्शाता है, जैसे जीवन में नई मुलाकातें और अवसर को सामने लाना।

धार्मिक दृष्टिकोण से, हिन्दू धर्म में सूर्य को आदित्य देवता के रूप में पूजा जाता है, जिसे सूर्योपासना कहा जाता है।

लेकिन सूर्यास्त क्या है ?

सूर्यास्त अवसरों का मूल्यांकन है, सफलता का चरम, संबंधों का संतुलन है आरंभ के स्वागत के साथ अंत का गरिमामय सम्मान है और जीवंत दिन के बाद सुकून की चाय है। सूर्योदय माँ के सानिध्य की सुनहरी धूप है तो सूर्यास्त पिता के स्पर्श की राहत वाली छांव है।

अलग अलग जगह बहुत से सूर्योदय और सूर्यास्त देखें पर कौन सा सर्वश्रेष्ठ है यह कहना तो असंभव ही है।

विज्ञान के सिद्धांतों को देखते समझते समझाते सूर्य के अस्तित्व से मानव व्यवहार और दर्शन भी समझ आने लगा।

पौराणिक आख्यानों के अनुसार सूर्य की प्रखरता से ईर्ष्या करते हुए देवताओं ने उसे हमेशा पराजित और निस्तेज करने का प्रयास किया है कभी ग्रहण के रूप में भी उनके दांपत्य जीवन के बिखराव के रूप में हमेशा उसको हीनता का बोध कराया जाता रहा है, लेकिन ये उसकी महानता है की पत्नि संध्या के प्रेम में अपनी उष्मा का एक अंश त्याग कर दिया जिससे उसकी पत्नी को कोई परेशानी न हो।

सूर्य की प्रखरता अकाट्य है विश्व की अबाध गति सूर्य पर निर्भर है उसी के आगाज में है पृथ्वी पर जीवन उसकी उष्णता से है ।मनुष्य में भी सूर्य जैसे तेजस्वी लोग होते हैं जो स्वीकार आसानी से नहीं होते लेकिन उनकी पराक्रम उन्हें दृढ़ संकल्पित करती रहती है। कितने दुष्चक्र को ग्रहण करते हुए अपनी चमक बिखेरते हुए बार बार प्रकट होते हैं, और यह आश्वस्त करते हैं कि उन्हें किसी से प्रमाणिकता की आवश्यकता नहीं । उगते सूरज की पूजा तो संसार का विधान है पर अस्ताचल सूर्य की आराधना केवल हम भारत वासी ही करते हैं उदय का अस्त भौगोलिक नियम है तो अस्त का उदय आध्यात्मिक सत्य।

प्रकृति के अनूठे स्वरूप और अक्षुण्ण स्त्रोत भगवान भास्कर की आराधना का पर्व छठ  की अनंत शुभकामनाये एवं बधाई।

(लेखक मनोवैज्ञानिक एवं शिक्षाविद हैं)

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