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संसदीय व्यवस्था के सशक्तिकरण में समिति प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण - श्री अवधेश प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधान सभा


🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार 🙏

भोपाल। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत की राजधानी सिडनी में 67वां राष्ट्रमंडल देशों का संसदीय सम्मेलन आयोजित किया गया है, जिसका मुख्य विषय "सशक्त, सतत और समावेशी लोकतंत्र के लिए रूपरेखा निर्धारण" है। इस सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधिमंडलों की उपस्थिति में न्यू साउथ वेल्स राज्य की राज्यपाल, राज्य संसद के अध्यक्ष तथा प्रीमियर द्वारा किया गया। 

इस अवसर पर आयोजित राष्ट्रमंडल देशों की संसद एवं विधानमंडलों के सचिवों के वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री अवधेश प्रताप सिंह और सचिव भी भाग ले रहे हैं।

सम्मेलन के पहले दिन, श्री अवधेश प्रताप सिंह,  प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधान सभा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संसदीय समितियां विधायिका की अनुपूरक होती हैं और इन समितियों का संसदीय प्रणाली में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय आधार पर गठित स्थायी विधायी समितियां निरंतर कार्यरत रहती हैं, जबकि प्रवर समितियां का कार्यकाल विधेयक परीक्षण, प्रकरण जांच या कार्य विशेष के लिए होता हैं।

उन्होंने मध्यप्रदेश की नवगठित विधान सभा का उदाहरण देते हुए कहा कि माननीय अध्यक्ष के मार्गदर्शन में वित्तीय और अन्य विधायी समितियों द्वारा कार्यपालिका के कार्यों और नीतियों का प्रभावी रूप से परीक्षण किया जा रहा है। 

श्री सिंह ने यह भी कहा कि सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद इन समितियों का कार्य प्रारंभ हो जाता है, जिससे संसदीय व्यवस्था के संचालन में इनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि संसदीय व्यवस्था के कार्यकरण के हित में इन समितियों को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

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