डॉ हरस्वरूप जी के विश्वस्तरीय योगदान पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है – प्रो शर्मा
उज्जैन। प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में 20 वीं शताब्दी के अग्रगण्य जेनेटिक इंजीनियर ब्रह्मलीन डॉ हरस्वरूप के 102वें जन्म दिवस पर विज्ञान उत्सव बड़ी ही भव्यता के साथ मनाया गया। संस्था के उद्यान में स्थापित डॉ हरस्वरूप जी की प्रतिमा पर सभी अतिथियों एवम् छात्र छात्राओं ने माल्यार्पण किया। तत्पश्चात डॉ हरस्वरूप जी के उच्च उदात्त व्यक्तित्व कृतित्व एवं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में किए गए शोध कार्य पर केंद्रित डॉ तेज प्रकाश व्यास, प्रेसिडेंट, डॉ हर स्वरूप ग्लोबल फाउंडेशन ऑफ लाइफ साइंसेस द्वारा लिखित लघु पुस्तिका पधारे हुए अतिथियों सहित संस्था के प्राध्यापकों और छात्रो द्वारा विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप ने पधारे विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ हरीश व्यास ,प्राचार्य माधव विज्ञान महाविद्यालय उज्जैन, पूर्व विभागाध्यक्ष प्राणी विज्ञान विभाग, डॉ एस सी कोठारी (उज्जैन), देवेंद्र मेहता (उज्जैन), डॉ नरेंद्र कुमार कौशिक (भोपाल), डॉ अनिल पाण्डेय (उज्जैन) एवम् विशिष्ट अतिथि गणों की गरिमामयी सारस्वत उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलगुरु प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी अभिव्यक्ति दी। उन्होंने कहा कि जीववैज्ञानिक डॉ हरस्वरूप जी के विश्वस्तरीय योगदान पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उन्होंने अविस्मरणीय कार्य किया। एक महान गुरु, वैज्ञानिक और मार्गदर्शक के रूप में उन्होंने अनेक वैज्ञानिकों और शिक्षकों को तैयार किया। उनके द्वारा किए गए अनुसन्धान ने नोबेल पुरस्कार विजेता के कार्य को आधार दिया था।
कार्यक्रम का समन्वय फाउंडेशन के प्रेसिडेंट डॉ तेज प्रकाश व्यास ने किया। डॉ व्यास ने डॉ हरस्वरूप के उच्च उदात्त व्यक्तित्व कृतित्व वर्णित करते हुए कहा कि आपका व्यक्तित्व भगवद्गीता के अनुरूप ही है: यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते। श्रेष्ठ मानव जो-जो (उत्कृष्ट एवं शुभ) आचरण करते हैं, दूसरे मानव वैसा ही आचरण करते हैं। वे जो कुछ प्रमाण देते हैं, दूसरे मानव भी उसी के अनुसार आचरण करते हैं। डॉ स्वरूप ने आजीवन छात्रों के करियर में उच्चता प्रदान की। उन्होंने 59 वर्ष के जीवन काल में उच्च शोध की 37 पीएचडी का मार्गदर्शन किया। उनके छात्र भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, एवं यूरोप के अनेकों देशों में कार्यरत रहे हैं और कार्यरत भी हैं। 1950 के दशक में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में गैस्ट्रोस्टियस एकुलेटस में ट्रिपलॉइड को तत्कालीन सीमित साधनों में बनाकर जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पूरे विश्व में जाने जाने लगे। ऐसे महामानव व्यक्ति के छात्र रहने का गौरव मुझे भी मिला।
इस अवसर पर फाउंडेशन का राष्ट्रीय लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2024 को इटावा उत्तर प्रदेश के वन्य जीव एवं सरीसृप वैज्ञानिक डॉ आशीष त्रिपाठी को अतिथियों द्वारा शील्ड, सायटेशन, शाल और श्रीफल के साथ भेंट किया गया। त्रिपाठी ने गत दो दशको में चार हजार से अधिक सर्प दंशित मानवों की अविलंब प्रतिविष केंदों पर पहुंचाकर की है। वे स्नेक हेल्प लाइन से 365 दिवस सेवा देते हैं।
डॉ हरस्वरूप जी पर आधारित क्विज विजेताओं को फाउंडेशन के प्रमाण पत्र वितरित किए गए। क्विज में प्रथम निहारिका मिश्रा और मनीष बैरवा, द्वितीय श्वेता प्रजापति एवं तृतीय स्थान पर साल्वी ठाकुर, तनय सिंह बैस रहे। फाउंडेशन के एम्बेसडर का महत्वपूर्ण सारस्वत सम्मान विभाग के प्राध्यापक गण, डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा (उज्जैन), डॉ नरेंद्र कुमार कौशिक (भोपाल), देवेंद्र मेहता (इंदौर), काजल कुमार नंदी (उज्जैन), डॉ हरीश व्यास (उज्जैन), तथा डॉ अनिल पांडे (उज्जैन) को प्रदान किया गया।
डॉ. हरीश व्यास, प्राचार्य, शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय, उज्जैन ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा की मनुष्य एवं प्रकृति का अद्भुत संगम दर्शाता है। सर्प भी प्रकृति का एक भाग है जो विभिन्न छोटे जानवरों को खाकर खाद्य शृंखला का निर्माण करते है परंतु हम इस प्राकृतिक आवास स्थलों को नष्ट करके यहाँ पर कॉलोनी बना रहे है जिसके कारण सर्प अपने प्राकृतिक आवास खोते जा रहे है एवं वे आवासो एवं कार्यालयों ने घुस जाते हैं जिसके काटने से मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है। अत: सर्प को पहचानना एवं उसके काटने पर क्या कार्यवाही की जाए यह प्रत्येक छात्र एवं जनसामान्य को पता होना चाहिए, जिससे मनुष्य अपनी रक्षा कर सके एवं हम सर्प से भयभीत भी न हो। इस यज्ञ को आशीष त्रिपाठी उत्तर प्रदेश में और डॉ तेज प्रकाश व्यास मध्य प्रदेश में निरंतर जारी रखे हुए हैं।
कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज द्वारा समारोह की सफलता के लिए भेजे गए संदेश का वाचन भी किया गया। संदेश में डॉ त्रिपाठी को 2024 के फाउंडेशन के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के लिए बधाई भी अभिव्यक्त थी। प्राणी विज्ञान विभाग के ऑडिटोरियम में मां वीणापाणि सरस्वती के पूजन अर्चन एवं वंदना से कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ हुआ।
भोपाल से आए डॉ हरस्वरूप जी के छात्र डॉ नरेंद्र कुमार कौशिक ने कहा कि डॉ हरस्वरूप जी के जन्म दिवस को विज्ञान उत्सव के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाकर नई पीढ़ी को विज्ञान उच्चता में प्रवृत्त करने के महायज्ञ के लिए डॉ तेज प्रकाश व्यास वन मेन आर्मी हैं, जो इतने वृहद आयोजन को नियमित प्रतिवर्ष आयोजित करते हैं। ईश्वर डॉ व्यास को चिरायु बनावे।
सम्मान से अभिभूत होकर डॉ आशीष त्रिपाठी की अभिव्यक्ति ने सदन को अभिभूत कर दिया। देवाधिदेव महाकाल की परम पावन नगरी उज्जैन के दुर्लभ दर्शन के साथ अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ हरस्वरूप जी की पूज्य कर्मस्थली रहे प्राणिविज्ञान विभाग ,विक्रम विश्व विद्यालय में आकर उनके अजर अमर नाम के लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 2024 से अलंकृत होकर शील्ड और साइटेशन प्राप्त करना मेरे जीवन के लिए बेहद गौरव का प्रसंग है। इसी के साथ अपने जीवन में पहली बार किसी ऐसे कुलगुरु से मुलाकात हुई जो बेहद ही दूरदर्शी, सरल स्वभाव के विशाल हृदय के अद्वितीय व्यक्तित्व हैं, जो अपने विश्वविद्यालय के छात्रों को अपने परिवार की तरह ही बेहद स्नेह करते है। दिन रात बच्चों के हित के लिए तत्पर रहते हैं ऐसे मनीषी कर्मठ विद्वान कुलगुरु का आशीर्वाद भी मुझे सौभाग्य से प्राप्त हुआ। साथ ही ब्रह्मलीन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ हरस्वरूप जी के नाम को लगातार जीवंत रखने वाले वीणापाणि सरस्वती के वरदपुत्र, जैवविद, हरपेटो साइंटिस्ट एवं एंटी एजिंग साइंटिस्ट प्रो तेज प्रकाश व्यास जी का आशीर्वाद और स्नेह भी प्राप्त हुआ, जो स्वयं जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 2022 के भारत के अग्रगण्य जैवविद के रूप में डॉ हरस्वरूप के गोल्ड मेडल धारक और अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक हैं। इसी क्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग की समस्त फैकल्टी एवम बच्चों से मुलाकात के साथ और कुलगुरु महोदय के दिशा निर्देशन में कृषि संकाय हॉस्टल के सैकड़ों छात्र एवम विद्योत्तमा छात्रावास की सैकड़ों छात्राओं को सर्प पहचान, सर्पदंश उपचार का विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना मेरे जीवन में हमेशा चिरस्मरणीय रहेगा।
कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि देवेंद्र मेहता (इंदौर) ने भी संबोधित किया। आपने कहा मुझे स्वर्गीय डॉक्टर हर स्वरूप फाउंडेशन के द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मैं डॉक्टर तेज प्रकाश व्यास जी की अपने स्वर्गीय गुरु परम आदरणीय प्रोफेसर हर स्वरूप जी के प्रति अपनी श्रद्धा एवं समर्पण देखकर अभिभूत हूँ। कार्यक्रम का उद्देश्य मात्र उन्हें श्रद्धा से याद करना ही नहीं था, अपितु आने वाली पीढ़ी को उनके द्वारा किए गए कार्यों से अवगत करना और विद्यार्थियों की नवपौध को उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण भाव से किए गए अपने कार्यों के प्रति अवगत करना भी है। विद्यार्थियों की नई युवा पीढ़ी में उत्साह का संचार करने वाले इस अभिनव आयोजन में डॉक्टर तेज प्रकाश जी का उद्बोधन एवं अन्य विद्वान प्रोफेसर का उद्बोधन सुनकर मैं अभिभूत था। निश्चित ही, इस तरह के अभिनव कार्यक्रम अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव रखने एवं युवा पीढ़ी के मार्गदर्शक बनेंगे।
डॉक्टर एस सी कोठारी एवं अनिल पांडे ने छात्रों को लक्ष्य बनाकर अपनी उच्च श्रेणी में स्थान बनाने के लिए प्रेरणा दी। सभी आगत अतिथियों, प्राध्यापकों छात्रों के प्रति फाउंडेशन के प्रेसिडेंट डॉ व्यास ने आभार माना और कहा कि आप सबकी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम भव्य रूप में सम्पन्न हुआ।
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