आईसीएआर-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल ने 5 दिसंबर 2024 को "मृदा स्वास्थ्य जागरूकता" पर "विश्व मृदा दिवस” का आयोजन किया
विश्व मृदा दिवस के अवसर पर डॉ. एसपी दत्ता द्वारा डॉ. रतन लाल को सम्मानित किया गया (5 दिसंबर 2024) |
🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार 🙏
भोपाल। एफएओ किंग भूमिबोल पुरस्कार प्राप्त आईसीएआर भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान ने विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर 2024 को मनाया। "मिट्टी की देखभालः उपाय, निगरानी और प्रबंधन" के नारे के साथ यह मृदा स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। बहुत जोश और उत्साह के साथ संस्थान ने स्कूली बच्चों को शिक्षित करने और मृदा स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए "मानवता के लिए मिट्टी की देखभाल थीम पर कृषि शिक्षा दिवस मनाया। इस दिशा में, संस्थान ने "स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मिट्टी" विषय पर निबंध और ड्राइंग प्रतियोगिता आयोजित की। 5 दिसंबर 2024 को आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए संस्थान से नजदीकी परिसर तक मार्च पास्ट का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पदम श्री पुरस्कार सम्मानित और विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता डॉ. रतन लाल (प्रतिष्ठित प्रोफेसर, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, कोलंबस, अमेरिका) उपस्थित थे। इस दिन डॉ. रतन लाल ने मिट्टी, वायुमंडल और धरती को स्वस्थ बनाने के लिए दस-आयामी रणनीति पर जोर दिया। उन्होंने बुनियादी बातें दोहराई और कई मुद्दों पर अपनी चिंताएं जताई जैसे -
(1) बढ़ती जनसंख्या (2) प्रति व्यक्ति भूमि क्षेत्र (3) मिट्टी और भूमि क्षरण की सीमा (4) प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता (5) जलवायु परिवर्तन (6) ऊर्जा स्तर (7) प्रति व्यक्ति अनाज की खपत (8) कुपोषण को रोकने के लिए खाद्य उत्पादन के बजाय पोषण गुणवत्ता (9) प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन और (10) विश्व शांति राजनीतिक के बजाय वैज्ञानिक मुद्दा है।
उन्होंने भोजन के महत्व को आगे बताया क्योंकि यह सभी मनुष्यों और जानवरों के लिए भी अपरिहार्य है। इस प्रकार, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अच्छी गुणवत्ता वाले भोजन के उत्पादन के लिए स्वस्थ मिट्टी की आवश्यकता है जिसके लिए मृदा विज्ञान की भूमिका अनिवार्य है। इस संदर्भ में, उन्होंने कृषि क्रांति के चार चरणों का भी उल्लेख किया जैसेः 1.0 कृषि की शुरुआत के रूप में 2.0 कृषि के मशीनीकरण के रूप मेंः 3.0 हरित क्रांति के रूप में और 4.0 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिसके परिणामस्वरूप कृषि में डिजिटलीकरण, सटीक कृषि, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ कृषि परिवर्तन ।
उन्होंने खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में हरित क्रांति के योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने आगाह किया कि गहन कृषि के परिणामस्वरूप उर्वरकों और कीटनाशकों आदि का अत्यधिक उपयोग होता है और ऐसे उभरते मुद्दों का समाधान खोजने के लिए एक उपचारात्मक उपाय के रूप में कृषि के परिवर्तन में मिट्टी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने मिट्टी और पृथ्वी के स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने के लिए "रिजनरेटिव एग्रीकल्चर" के रूप में एक विकल्प का भी सुझाव दिया। इस प्रकार, "रिजनरेटिव एग्रीकल्चर" वह कृषि है जो मिट्टी, वायुमंडल और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती है। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और छात्रों से उर्वरक, कीटनाशकों आदि का इष्टतम स्तर पर उपयोग करने और उनके अत्यधिक उपयोग से बचने का आग्रह किया ताकि वे एक दवा के रूप में काम करें न कि जहर के रूप में।
डॉ. एसपी दत्ता (निदेशक, आईसीएआर-आईआईएसएस, भोपाल) ने मिट्टी के महत्व पर व्याख्यान दिया। उन्होंने आगे कहा कि मिट्टी मानव और मानवता के संपूर्ण विकास का केंद्र है। उन्होंने कहा कि मिट्टी जीवन का मूल है। उन्होंने धर्म, विचार, आजीविका और स्वास्थ्य सहित जीवन के सभी क्षेत्रों, चाहे वह संस्कृति और सभ्यता हो, में मिट्टी के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने संकेत दिया कि जीवन के सभी रूप मिट्टी पर निर्भर हैं। उन्होंने आगे "एक स्वास्थ्य" की अवधारणा को बताया जो जीवन के सभी रूपों के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को प्रमुख पैरामीटर के रूप में दर्शाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि समृद्धि और भावी पीढ़ी के लिए मिट्टी को पुनर्स्थापित और बेहतर बनाने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए।
इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, छात्रों और किसानों सहित लगभग 200-250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
✍ राधेश्याम चौऋषिया
● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति
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