Skip to main content

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का जन्म शताब्दी समारोह इंदौर में होगा

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का 100वां जन्म दिवस शताब्दी समारोह श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर में होगा।

यह जानकारी राष्ट्रीय प्रमुख प्रवक्ता डॉ. प्रभु चौधरी ने देते हुए बताया कि 10वाँ अटलश्री काव्य सम्मान राष्ट्रीय संगोष्ठी समारोह को शुभारम्भ 12.30 बजे होगा। जिसके मुख्य अतिथि डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल पूर्व प्राध्यापक हिन्दी एवं पूर्व प्राचार्य निर्भयसिंह पटेल विज्ञान महाविद्यालय इन्दौर, विशिष्ट अतिथि श्री त्रिपुरारीलाल शर्मा, अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद प्रांत मालवा विशिष्ट अतिथि डॉ. जी.डी. अग्रवाल अध्यक्ष संभागीय पुस्तकालय संघ, विशिष्ट अतिथि डॉ. वंदना अग्निहोत्री सेवा निवृत्त प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष माता जीजाबाई स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय इन्दौर, विशिष्ट अतिथि श्री सुनील मतकर देवी अहिल्या आयोजन समिति सचिव इन्दौर, मुख्य वक्ता डॉ. अशोक कुमार भार्गव आई.ए.एस. एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भोपाल तथा अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं शिक्षाविद् उज्जैन समारोह संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी तथा संचालक सुश्री संगीता केसवानी होगी।

समारोह का द्वितीय सत्र दोप. 2.30 बजे से राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि सुश्री रिंकल शर्मा कवयित्री-लेखिका गाजियाबाद, विशिष्ट अतिथि श्री अनील ओझा कवि इन्दौर, विशिष्ट अतिथि श्रीमती माया कोल एवं पदमा राजेन्द्र इन्दौर एवं अध्यक्षता श्री यशवन्त भण्डारी कवि एवं प्रदेशाध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना झाबुआ तथा संयोजक डॉ. अरूणा सराफ एवं संचालक रेनू सिरोया कुमुदनी उदयपुर होगी। 

इस अवसर पर कवि श्री भण्डारी की पुस्तक अंतर मन की वेदना तथा संचेतना समाचार पत्र (द्वि मासिक) अभिनंदन विशेषांक राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का विमोचन अतिथियों द्वारा होगां समारोह साहित्य की विशिष्ट सेवियों का साहित्य गौरव सम्मान एवं अभिनंदन पत्र डॉ. मनीष दवे  डॉ. वीरेन्द्रकुमार मिश्र वरिष्ठ व्याख्याता इन्दौर, श्रीमती माया कौल, डॉ. निशा जोशी, रिंकल शमा्र, डॉ. रेनू सिरोया, मुकेश इन्दौरी, डॉ. वंदना अग्निहोत्री, डॉ. जयासिंह, श्री यशवंत भंडारी यश, डॉ. अरूणा सराफ, सुश्री संगीता केसवानी आदि को अतिथियो द्वारा सम्मानित किया जा रहा है। समारोह में राष्ट्रीय सचिव सुश्री संगीता केसवानी का जन्मदिवस मनाया जावेगा । समारोह में साहित्य प्रेमियो से उपस्थित होकर सहयोग की अपील की है। 

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...