Skip to main content

महामना मदनमोहन मालवीय - अटल अलंकरण से सम्मानित होंगे विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा

महामना मदनमोहन मालवीय - अटल अलंकरण से सम्मानित होंगे विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा 

भारतरत्न महामना मदनमोहन मालवीय एवं अटलबिहारी वाजपेयी जयंती महोत्सव आज 

उज्जैन। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के स्थापना दिवस, 25 दिसंबर 2024 पर इस वर्ष भारत रत्न दो विभूतियों के नाम महामना पुरस्कार एवं अटल अलंकरण से विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य केदारनाथ शुक्ल को दिया जाएगा। समारोह के मुख्य वक्ता संस्कृत विभाग विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर केदार नारायण जोशी होंगे।

 


ब्राह्मण समाज का स्थापना दिवस तथा महामना एवं अटल जयंती समारोह आयोजित अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज का 43वां स्थापना दिवस तथा भारत रत्न द्वय महामना पं. मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की जयंती समारोह ब्राह्मण समाज भव्य रूप से दिनांक 25 दिसंबर 024 को मनायेगा। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी महामंत्री तरुण उपाध्याय ने बताया कि 25 दिसंबर को प्रातः 11:00 बजे सुमन मानविकी भवन परिसर विक्रम विश्वविद्यालय सर्किट हाउस के सामने स्थित महामना पं. मदन मोहन मालवीय की मूर्ति पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा तथा सांयकाल 6:00 बजे मुख्य समारोह श्याम महल गुमानदेव हनुमान मंदिर पीपलीनाका उज्जैन पर आयोजित किया जाएगा जहां पर महामना एवं अटल अलंकरण तथा वैदिक एवं तीर्थ परंपरा से जुड़े हुए विप्र ब्राह्मण हस्तियों का पं श्री गणेश शास्त्री नाहरवाला एवं ज्योतिषाचार्य पं.श्री श्याम नारायण व्यास तीर्थ अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा। साथ ही शिक्षा , कला, विधि, चिकित्सा , ज्योतिष, साहित्य ,प्रशासन, पत्रकारिता खेल ,तीर्थ, वैदिक परंपरा ,समाज सेवा, महिला सशक्तिकरण आदि के क्षेत्र में कार्यरत ब्राह्मण हस्तियां को सम्मानित किया जाएगा।

साथ ही हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में सीनियर अधिवक्ता के रूप में नामांकित वीरेंद्र शर्मा विधिक क्षेत्र , चिकित्सा मेडिसिन क्षेत्र में डॉक्टर कर्नल गोवर्धन व्यास ,डॉ प्रियंका शर्मा आयुर्वेद पंचकर्म, सी एस पी पुलिस ओ. पी .मिश्रा प्रशासन, ऋतु शुक्ला कला, अवनी जोशी खेल ,अपूर्व शर्मा शिक्षा ,कवि राहुल शर्मा साहित्य ,महेश शास्त्री तीर्थ परंपरा ,कृष्णा गुरु शर्मा वैदिक परंपरा ,देवेंद्र पुरोहित पत्रकारिता ,पं. हरिहर पांडे ज्योतिष, श्रीमती रंजना दीक्षित महिला सशक्तिकरण आदि 15 हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा

इस अवसर पर प्रमुख रूप से उज्जैन जिला पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा ,संरक्षक सुरेश मोड पं, राजेंद्र गुरु शर्मा, जियालाल शर्मा, चंद्रशेखर वशिष्ठ, महाकाल मंदिर पुजारी प्रदीप गुरु विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील ब्राह्मण समाज के सर्वश्री हेमंत व्यास, मनीष उपाध्याय अंगारेश्वर, राहुल व्यास सांदीपनि आश्रम ,स्वप्निल शास्त्री नाहर वाला,, विनय कुमार ओझा अमित मिश्रा, पं. शैलेंद्र द्विवेदी, वीरेंद्र त्रिवेदी, चंद्रशेखर शर्मा, योगेश शर्मा, रामगोपाल शर्मा,, शैलेंद्र व्यास, गौरव उपाध्याय, यश जोशी ,हेमंत शास्त्री, राजेश पुरोहित आदि ने सभी ब्राह्मण जनों से उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...