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मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा भोपाल में नईम कौसर को समर्पित विमर्श एवं रचना पाठ आयोजित

■ छोड़  दे  नफ़रत, मुहब्बत  का तू  कारोबार कर

आदमी तू  भी  ख़ुदा के  काम  का  हो ‌जाएगा।।

-- महावीर सिंह 

■ अपनी कुंठा लिख उसे मत शायरी का नाम दो

थक गयी हो गर क़लम तो अब उसे आराम दो।

-- दिनेश मालवीय 

■ जामे उल्फ़त का बस एक क़तरा हूँ मैं ,

लोग समझे कि मैं मयकदा हो गई ,,

 -- ख़ुशबू ए फ़ातिमा'अफ़ज़ल

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार 🙏

भोपाल । मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्वावधान में ज़िला अदब गोशा, भोपाल द्वारा सिलसिला एवं तलाशे जौहर के अंतर्गत प्रसिद्ध कहानीकार नईम कौसर को समर्पित विमर्श एवं रचना पाठ का आयोजन शनिवार 7 दिसंबर, 2024 को मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, बाणगंगा रोड, भोपाल में ज़िला समन्वयक सैयद आबिद हुसैन के सहयोग से हुआ।

अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम के बारे में बताया कि, नईम कौसर साहब जिन्होंने अपने क़लम की ताक़त से उर्दू साहित्य को न केवल नई दिशाएँ दीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक रौशन रास्ता भी सुनिश्चित किया। नईम कौसर की साहित्यिक सेवाओं को मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी ने हमेशा याद रखा है। आज आयोजित सिलसिला एवं तलाशे जौहर भी उनको समर्पित करना, ये केवल एक श्रद्धांजलि नहीं बल्कि उर्दू भाषा एवं साहित्य के विकास के लिये की गई उनकी साहित्यिक सेवाओं का अभिनंदन भी है।

मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी पूरे प्रदेश में सिलसिला एवं तलाशे जौहर जैसे सफल कार्यक्रम आयोजित करती है। इन कार्यक्रमों के द्वारा हम न केवल अपने महान साहित्यकारों एवं शायरों को याद करते हैं बल्कि उनके काम काम को नई पीढ़ी के लिये मार्गदर्शक भी बनाते हैं। 

भोपाल ज़िले के समन्वयक सैयद आबिद हुसैन ने बताया कि, विमर्श एवं रचना पाठ तीन सत्रों पर आधारित था। प्रथम सत्र में दोपहर 2:30 बजे तलाशे जौहर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें ज़िले के नये रचनाकारों ने तात्कालिक लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। निर्णायक मंडल के रूप में भोपाल के वरिष्ठ शायर क़ाज़ी मलिक नवेद एवं शायरा नफ़ीसा सुल्ताना अना उपस्थित रहे जिन्होंने  प्रतिभागियों को शेर कहने के लिए दो तरही मिसरे दिए गये, उन मिसरों पर नए रचनाकारों द्वारा कही गई ग़ज़लों पर एवं उनकी प्रस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल के संयुक्त निर्णय से यूसुफ अली ने प्रथम, समीना क़मर ने द्वित्तीय एवं अनवर शान ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले तीनों विजेता रचनाकारों को उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार राशि क्रमशः 3000/-, 2000/- और 1000/- एवं प्रमाण पत्र दिए जाएंगे ।

■ दूसरे सत्र में शाम 4:00 बजे सिलसिला के तहत विमर्श एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसमें साहित्यिक गोष्ठी की अध्यक्षता भोपाल के वरिष्ठ साहित्यकार एवं शायर इक़बाल मसूद ने की। इस सत्र में उनके साथ शकील खान एवं नईम कौसर की बेटी रुबीना कौसर भी मंच पर उपस्थित रहीं।

इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए इक़बाल मसूद ने कहा कि, नईम कौसर की कहानियाँ हमारी और हमारी समृद्ध तहज़ीब का वो मेनिफ़ेस्टो है जो आज कहानियों और किताबों के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जगमग जगमग कर रहा है। उनकी कहानियों का विषय भारत है, वे भारत जिसके वासी सभ्यता एवं संस्कृति के पैकर थे। मोहब्बत जिनके दिलों भरी हुई थी जो प्रेम के ढाई अक्षर समझते थे। नफ़रत के नुक़सानात से वाकिफ़ थे वो भारत उनकी कहानियों में साँस लेता है। नईम कौसर ने उस भारत को बहुत प्यार से अपनी कहानियों में समाया है ।

शकील खान जिन्होंने नईम कौसर व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध कार्य किया है, ने नईम कौसर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाल कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि  नईम कौसर ने अपनी कहानियों के द्वारा सामाज का असली चेहरा दिखाते हैं। समाज में फैली हुई बुराइयों, गुमराहियों के अलावा आसपास होने वाली घटनाओं को अपने अंदाज़ में बहुत सुंदरता के साथ प्रस्तुत करते हैं। 

■ तीसरे सत्र में शाम 5:00 बजे काव्य गोष्ठी आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता भोपाल के उस्ताद शायर अज़ीज़ रौशन ने की एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में ख़लील असलम क़ुरैशी, दिनेश मालवीय एवं महावीर सिंह मंच पर उपस्थित रहे। 

सिलसिला में  जिन शायरों ने कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर निम्न हैं। 

बहुत क़रीब से देखा है हमने दुनिया को 

ये दोस्त आपकी होगी हमारी दुश्मन है 

--अज़ीज़ रौशन


छोड़  दे  नफ़रत, मुहब्बत  का तू  कारोबार कर

आदमी तू  भी  ख़ुदा के  काम  का  हो ‌जाएगा।।

--महावीर सिंह 


ओरों  में  ऐब ढूंढना आसान है बहुत 

हटकर  लकीर  खींच  तू  हर  एक  लकीर  से

--ख़लील असलम क़ुरैशी


अपनी कुंठा लिख उसे मत शायरी का नाम दो

थक गयी हो गर क़लम तो अब उसे आराम दो।

--दिनेश मालवीय 


काँटों भरे रस्तों को बना देते हैं गुलज़ार 

जब फूट के रोते हैं मिरे पाऊँ के छाले 

--सीमा नाज़ 


मेरे चेहरे पे तबस्सुम तो दिखाई देगा 

पर मिरा शेर मिरे ग़म की गवाही देगा 

 --डॉ नसीम खान 


जो सर चढ़ कर ये जादू बोलता है

मिरे लहजे में क्या तू बोलता है

--सैयद इनायत अब्बास 


हमें जो फूल के बदले  में खा़र देते हैं

हम उनके दिल में मुहब्बत उतार देते हैं

--मुश्ताक़ अहमद मुश्ताक़


दौरे-हाज़िर में पढ़-लिख कर, घर में ख़ाली बैठा है

वो आँखों में चुभता भी है, वो आँखों का तारा भी 

--मनीष बादल 


सब्र करने की भी कोई हद है ऐ चारागरो

ज़ालिमों के ज़ुल्म को हम इन्तेहा कब तक कहें। 

--डॉ मुबारक शाहीन 


मुझे ये पता था हक़ीक़त नहीं है

किसी को किसी की ज़रूरत नहीं है

--संतोष खिरवड़कर 


तुम क्या गए कि मंज़रे आलम उदास है 

सहरा सिमट के दिल के खराबे में आ गया 

--शमीम हयात 


कितना खारा है समंदर कह रहे हैं सब मगर

सीप में मोती मिलेगा सच यही है मान लो

--नीता सक्सेना


तू मिरे मे'यार का अंदाज़ा कर इस बात से 

मैं तमाशा भी अगर हूॅं, तो हूॅं आला दर्जे का

--अपर्णा पात्रिकर


इश्क़ करना तो कहाँ तुम नाम तक लेते नहीं

सुन लिया होता जो पहले किस्सा  ए अंजामे मन

--मोहम्मद इन्साफ़


न जाना पड़ेगा तबीबों के दर पे

अगर हाथ रक्खो यतीमों के सर पे

--अहमद अली


जहां थी होश वालों की ज़रूरत 

वहाँ भी अब दिवाने लग गए हैं 

--औरंगज़ेब आज़म 


जामे उल्फ़त का बस एक क़तरा हूँ मैं ,

लोग समझे कि मैं मयकदा हो गई ,,

 --ख़ुशबू ए फ़ातिमा'अफ़ज़ल


सिलसिला एवं तलाशे जौहर का संचालन रिज़वानुद्दीन फारुक़ी एवं सिलसिला का संचालन इनायत अब्बास द्वारा किया गया और कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

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