उज्जैन। राष्ट्रीय गौरव का विषय है कि 31मई 2024 से 31मई 2025 तक देवी अहिल्याबाई होलकर का त्रिशताब्दी जयंती वर्ष मनाया जा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में विक्रम विश्वविद्यालय की प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला द्वारा अहिल्या बाई होलकर पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यानमाला का आयोजन दिनांक 16 दिसंबर को आयोजन किया गया। जिसमें डॉ संजय मिश्र राष्ट्रीय इतिहास संकलन समिति राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज , डॉ विकास दवे,निदेशक म प्र साहित्य अकादमी भोपाल, सुश्री चिन्मयी जी अमरावती, डॉ जे सी उपाध्याय, इंदौर, डॉ सुनील खत्री उज्जैन, श्री तेज सिंह सेंधव देवास, डॉ वी एस परमार विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर डॉ संजय मिश्र ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर के जीवन से प्रेरणा ले कर वर्तमान समय में प्रशासनिक कार्य करना चाहिए।
डॉ विकास दवे ने अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन के विभिन्न दृष्टांतों का वर्णन किया।
कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज ने अहिल्या बाई के जीवन को सभी विषयों के पाठ्यक्रम में जोड़ने को आवश्यक बताया। इस अवसर पर देवी अहिल्याबाई होलकर पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार भी वितरित किए गए।
उद्घाटन के बाद दो तकनीकी सत्रों में मुख्य वक्ता के रूप में सुश्री चिन्मयी जी ने अहिल्या बाई होलकर जी के व्यक्तित्व के सुदृढ़ पक्षों के उदाहरण प्रस्तुत किए।
डॉ जे सी उपाध्याय जी ने अहिल्या बाई होलकर जी की खासगी आय को पारमार्थिक कार्यों में लगाए जाने के उदाहरण दिए। श्री आर सी ठाकुर जी ने देवी अहिल्याबाई होलकर के पुरातात्विक साक्ष्य प्रस्तुत किए। वहीं नारायण व्यास जी ने अंतिम सत्र की अध्यक्षता की।
संचालन डॉ प्रीति पांडे और डॉ अंजना सिंह गौर ने किया एवं आभार डॉ प्रशांत पुराणिक जी ने प्रस्तुत किया।
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