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गहरी अध्यात्म निष्ठा के साथ समाज की जड़ता को समाप्त करने का आह्वान किया स्वामी विवेकानंद ने – प्रो शर्मा

अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ स्वामी विवेकानंद : भारत का सांस्कृतिक जागरण और उनके सपनों का भारत पर मंथन 

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी स्वामी विवेकानंद : भारत का सांस्कृतिक जागरण और उनके सपनों का भारत पर केंद्रित थी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल थे। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की। विशेष अतिथि ओस्लो नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, डॉ जया सिंह, डॉ अनसूया अग्रवाल, डॉ प्रभु चौधरी ने भी विचार व्यक्त किए। स्वामी विवेकानंद जी की जयंती एवं युवा दिवस के शुभ अवसर पर यह आयोजन सम्पूर्ण हुआ।

मुख्य वक्ता डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने दशकों पहले भारत के व्यापक सामाजिक परिवर्तन का सपना देखा था। उन्होंने गहरी अध्यात्म निष्ठा के साथ समाज की जड़ता को समाप्त करने का आह्वान किया। वे समाज में व्याप्त रोगों को समाप्त करने के लिए उन्हें जड़ से समाप्त करने का आह्वान करते हैं। उनका समाज सुधार का सपना ऊपरी नहीं है, वह अध्यात्म की सुदृढ़ भूमि पर टिका है। वे सुधारकों में ध्येय के प्रति पूर्ण समर्पण, श्रद्धा एवं वैराग्य भावना को  आवश्यक मानते हैं।

इस आयोजन में शामिल मुख्य अतिथि डॉ हरिसिंह पाल ने अपने उद्बोधन में कहा स्वामी विवेकानन्द का  शिकागो में दिया गया भाषण ऐतिहासिक दृष्टि महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। इसके लिए उन्हें बहुत कम समय दिया गया था। उन्होंने उस सीमित समय में अपनी पह‌चान स्थापित की।

विशिष्ट अतिथि डॉ सुरेश चन्द्र शुक्ल नार्वे ने दुनिया के विभिन्न देशों में स्वामी विवेकानंद के बढ़ते प्रभाव की चर्चा की। अध्यक्षीय भाषण डॉ व्रजकिशोर शर्मा ने दिया।

डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक रायपुर ने कहा कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद के कार्यों से प्रेरणा लेना चाहिए जिन्होंने अल्पायु में गेरुआ वस्त्र धारण कर अध्यात्म साधना के साथ समाज निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था। डॉ. जया सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी योग को महत्व दिया करते थे।

अतिथि परिचय डॉ शहनाज शेख महाराष्ट्र ने दिया तथा स्वामी विवेकानन्द के योगदान की चर्चा की।

श्रीमती श्वेता मिश्रा ने संगोष्ठी का संचालन करते हुए कहा कि हमें याद रखना होगा कि उठो जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ।

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