जेब्रा दुर्लभ प्रजाति, संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण - प्रो अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु
उज्जैन। जेब्रा की प्रजातियों को बचाने और उनके संरक्षण के प्रयासों में योगदान करने के लिए प्रेरित करता है अत्यंत दुर्लभ होती हुए सामुदायिक जैव विविधता वाला प्राणी जेब्रा अपने काले और सफेद धारियों वाले फर के लिए प्रसिद्ध है, जो हर जेब्रा में अलग-अलग पैटर्न में होते हैं। इन धारियों का उपयोग एक तरह से कैमोफ्लेज के रूप में होता है, जिससे जेब्रा शिकारियों से बच सकें। इसके अलावा, जेब्रा की सामुदायिक जीवन शैली विशेष है।
उक्त संदेश प्रो डॉ अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु, विक्रम विवि उज्जैन ने संयुक्त राष्ट्र संपोषणीय विकास लक्ष्यों के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय जेब्रा दिवस विक्रम विवि उज्जैन के आयोजन में अपने शुभकामना संदेश में व्यक्त किए।
नव नियुक्त कार्यपरिषद सदस्य, प्रबंध संकाय अध्यक्ष प्रो डॉ कामरान सुल्तान के स्वागत सम्मान के साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान विक्रम विवि उज्जैन में त्रिस्तरीय चरणबद्ध स्थलीय संयुक्त राष्ट्र संपोषणीय विकास लक्ष्यों के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय जेब्रा दिवस विक्रम विवि उज्जैन में कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा जी अध्यक्ष हिंदी अध्ययन शाला के सानिध्य में मनाया गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय जेब्रा दिवस हर साल 31 जनवरी को मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रो डॉ धर्मेंद्र मेहता, निदेशक, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान ने जानकारी देते हुए बताया कि इस दिवस का उद्देश्य जेब्रा के अस्तित्व संकट और उनकी देखभाल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। जेब्रा की प्रजातियों को बचाने और उनके संरक्षण के प्रयासों में योगदान करने के लिए प्रेरित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जेब्रा का महत्व और जैव विविधता
जेब्रा अत्यंत दुर्लभ होता है और इसकी सामुदायिक जैव विविधता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी काले और सफेद धारियों वाले फर का पैटर्न हर जेबरा में अलग होता है, और यह शिकारियों से बचने में मदद करता है। जेबरा के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों में योगदान देने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम ने जेबरा के संरक्षण की आवश्यकता और इसके पर्यावरणीय महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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