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Showing posts from February, 2025

विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम है भारत - डॉ सी सी त्रिपाठी

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल ने 3 वर्ष पूर्व विज्ञान दिवस पर एक अभिनव पहल करते हुए देश के प्रमुख प्राचीन एवं आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों एवं गणितज्ञों के जीवन एवं उनके द्वारा किये गए महवपूर्ण अनुसन्धान कार्य को संकलित कर एक स्थायी दीर्घा का निर्माण किया था। आज के कई अनुसन्धान इन प्राचीन वैज्ञानिकों की शोध एवं आविष्कार पर आधारित है। वर्ष भर  निटर में विभिन्न प्रदेशों से आये  हुए टीचर्स एवं स्टूडेंट्स  इस दीर्घा से प्रेरणा लेते हैं।  निटर निदेशक डॉ सी सी त्रिपाठी ने अपने सन्देश में कहा कि हमारे युवा अपनी विज्ञान धरोहर के वाहक बने। 2025 का विज्ञान दिवस ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’ थीम के साथ मनाया जा रहा  है। हमारा देश प्राचीन समय से ही विज्ञान और नवाचार में  समृद्ध रहा हे। यह दिन भारतीय वैज्ञानिकों के महान योगदान और उनके कार्यों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। खासतौर पर, इस दिन को डॉ सी वी रमन  क़े रमन प्रभाव की खोज के लिए याद किया जाता है। निटर भोपाल के डीन साइंसेज प्रो पी के पुरोहित न...

विक्रम विश्वविद्यालय के ललित कला, संगीत एवं नाट्य अध्ययनशाला के विद्यार्थियों ने महाशिवरात्रि पर अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया

महाकाल मंदिर में शिव बारात के प्रसंग को उकेरा विशाल और मनोहारी रंगोली के माध्यम से विद्यार्थी कलाकारों ने उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की ललित कला, संगीत एवं नाट्य अध्ययनशाला के 14 विद्यार्थियों ने महाशिवरात्रि पर्व के दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में 35x40 फीट की शिव बारात पर केंद्रित  एक अद्भुत और मनोहारी रंगोली बनाकर न केवल अपने नगर बल्कि पूरे प्रदेश और देश में अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस रंगोली को बनाने में कुल 430 किलोग्राम रंगोली  का उपयोग किया गया। इस रंगोली के मैनेजमेंट का कार्य पंकज सेहरा ने किया, इस रंगोली का पूरा डिज़ाइन का विचार अक्षित शर्मा का रहा, जिन्होंने अपने रचनात्मक दृष्टिकोण से इस रंगोली को डिज़ाइन किया। इस विशाल रंगोली निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अक्षित शर्मा, मुकुल ,जगबंधु महतो, आदित्य चौहान, लक्ष्मी कुशवाहऔर नंदिनी प्रजापति ने स्केचिंग करके इस रंगोली का सुंदर आधार तैयार किया।  इसके बाद टीम एट द 3 स्केचर्स - @th3sketchers के सभी कलाकार विद्यार्थियों ने रंगोली को बनाने में अपना पूरा योगदान दिया। विश्वविद्यालय के इन कलाकार विद्य...

प्रसिद्ध समालोचक एवं लोक मनीषी प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा साहित्य विभूषण सम्मान से अलंकृत होंगे

नई दिल्ली में 1 मार्च को आयोजित सम्मान समारोह में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शर्मा को सम्मानित किया जाएगा  उज्जैन/ नई दिल्ली। नई दिल्ली में 1 मार्च 2025 शनिवार को आयोजित इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन अवार्ड अलंकरण समारोह में प्रसिद्ध समालोचक, लोकमनीषी एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष और कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा को साहित्य विभूषण सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। संस्था द्वारा नई दिल्ली में शनिवार, 1 मार्च को आयोजित इस समारोह में देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं संस्कृतिकर्मियों द्वारा प्रो शर्मा को साहित्य विभूषण सम्मान अर्पित किया जाएगा।  आयोजन के संस्थापक - संयोजक वरिष्ठ लेखक डॉ संजीव कुमार, नई दिल्ली ने बताया कि हिंदी में साहित्य एवं रचनाकर्म को समृद्ध करने के उद्देश्य से बीपीए फाउंडेशन एवं इंडिया नेटबुक्स द्वारा प्रतिवर्ष साहित्यकारों एवं संस्कृतिकर्मियों को सम्मानित किया जाता है। यह अवार्ड सभी विधाओं के लिये दिये जाते हैं। विगत वर्षों में यह पुरस्कार वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल, ममता कालिया, प्रेम जनमेजय, डॉ प्रताप...

भारतीय ज्ञान परंपरा पर व्याख्यान सम्पन्न

पद और कद कितना ही बढे पर, व्यवहार समान रहना चाहिए - प्रो. वर्मा, कुलगुरु उज्जैन। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा ने विक्रम विश्वविद्यालय की वाणिज्य अध्ययनशाला द्वारा आयोजित "गेस्ट टॉक" कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम विषयक व्याखयान पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, "पद और कद कितना ही बढ़े पर व्यवहार समान रहना चाहिए।"  प्रो. वर्मा ने कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया कि हमारे पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रमुखता से स्थान दिया जा रहा है, क्योंकि जिस उन्नत ज्ञान का श्रेय हम पाश्चात्य देशों को देते आए हैं, उसका उद्गम कहीं न कहीं भारत से ही हुआ है। उन्होंने इस बात को धर्म और संस्कृति आधारित तथ्यों के माध्यम से विस्तृत रूप से समझाया। कार्यक्रम की शुरुआत में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष और वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार भारल ने अतिथियों का स्वागत और भारतीय ज्ञान परंपरा के पाठ्यक्रम में समावेश का महत्त्व बताते हुए विषय परिचय दिया।  इस अवसर पर डॉ. आशीष मेहता, डॉ. राकेश पंड्या, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. अनुभा गुप्त...

शिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव मंदिर साउथ टीटी नगर में हल्दी और मेहंदी अर्पित

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 भोपाल। साउथ टीटी नगर स्थित शिव मंदिर में आज शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव को हल्दी और मेहंदी अर्पित की गई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अर्चना की और भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।  हल्दी-मेहंदी रस्म में श्रीमती सीमा सेन, श्रीमती सुनीता चंदेल, श्री राजकुमार चंदेल, श्री राधावल्लभ सेन, श्री मोहन कुमार सविता सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे और कार्यक्रम को भव्य बनाया। कल सुबह 10:00 बजे विशाल शिव बारात निकाली जाएगी, जिसमें क्षेत्रवासियों को बड़े उत्साह के साथ शामिल होने का आह्वान किया गया है। शिव बारात में भगवान शिव की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो क्षेत्र में आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बनेगी।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन (म. प्र.) के कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के छात्रों ने ICAR - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में आयोजित पूसा कृषि मेले का किया शैक्षणिक भ्रमण

उज्जैन:-विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के छात्रों ने 22 - 24 फरवरी 2025, ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित पूसा कृषि मेले का शैक्षणिक भ्रमण किया। जिसमें विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो- अर्पण भारद्वाज व कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश टेलर के संयुक्त प्रयासों से  डॉ. अविनाश शर्मा (शिक्षक) के संरक्षण में कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के बी.एस.सी (ऑनर्स) एग्रीकल्चर तृतीय वर्ष के छात्र- आकाश कुमार, अभिजीत कुमार,अवनीश कुमार गिरी, शिवम कुमार मौर्या, आशुतोष कुमार इन सभी छात्रों ने पूसा कृषि मेला नई दिल्ली का शैक्षणिक भ्रमण किया जिसमें  निम्नलिखित प्रदर्शनी सम्मिलित थी-  * IARI - पूसा में विकसित फसलों के किस्मों की प्रदर्शनी| * IARI - पूसा में विकसित एकीकृत खेती पद्धति में बायोगैस संयंत्र|  * IARI - पूसा में विकसित प्रौद्योगिकी आधारित स्मार्ट सिंचाई प्रणाली की जानकारी|   कृषि के लिए ड्रोन तकनीकी का महत्व : •  भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वैज्ञानिकों द्वारा पूसा डीकंपोजर, जलवायु परिवर्त...

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्यों में से लक्ष्य क्रमांक 3 एवं 4 सर्वजन के लिए स्वास्थ्य की प्रतिपूर्ति एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की प्रतिपूर्ति हेतु फार्मेसी संस्थान विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

उज्जैन। फार्मेसी संस्थान विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में व्यक्तिगत विकास एवं चरित्र निर्माण विषय पर भारत सरकार द्वारा संचालित पीएम उषा मेरु के अंतर्गत एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आज दिनांक 25 फरवरी 2025 को आयोजित संगोष्ठी के प्रथम सत्र में डॉक्टर नेहा शर्मा चौधरी, मैनेजिंग डायरेक्टर ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल कॉलेज इंदौर द्वारा फार्मेसी में रोजगार के अवसर पर अपना व्याख्यान दिया गया।  फार्मेसी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्केटिंग प्रोडक्शन एवं रिसर्च शोध में कैसे अपना भविष्य बना सकते हैं पर भी बात की गई। उन्होंने छात्रों को हायर स्टडीज में क्या-क्या आयाम हैं जिसमें छात्र अपना भविष्य सवार सकते हैं के बारे में भी बताया गया।  यह कार्यक्रम विक्रम विश्वविद्यालय केरियर काउंसलिंग सेल द्वारा आयोजित किया गया । कार्यक्रम का संचालन छात्र विक्की जैन एवं छात्र शिखा देव पाटीदार द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में प्रोफेसर राजेंद्र कुमार कुरारिया, कुलगुरु, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, श्री डॉक्टर गुरुदत्त मिश्रा मौसम वैज्ञानिक विशेष अतिथि एवं प्...

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 19वीं किस्त का हस्तांतरण का सीधा प्रसारण का आयोजन

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 भोपाल । कृषि विज्ञान केन्द्र - केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल के सिल्वर जुबली सभागार में सोमवार, 24 फरवरी, 2025 को पी.एम.किसान सम्मान समारोह का सीधा प्रसारण कृषकों को दिखाया गया, इस अवसर पर श्री जार्ज कुरियन, मा. राज्य मंत्री मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा अल्पसंख्यक मामले भारत सरकार एवं श्रीमती सावित्री ठाकुर मा. राज्य मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग भारत सरकार की गरिमामयी उपस्थित में सम्पन्न हुआ।  इस अवसर पर संस्थान के प्रभारी निदेशक डाॅ. सुखदेव मंगराज द्वारा दोनो मंत्रियों को पुष्प-गुच्छ व श्रीफल भेंटकर, शाॅल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया गया ।  इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डाॅ. आर. के. सिंह एवं संस्थान के समस्त विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिकगण, तकनीकी अधिकारीगण एवं 175 से अधिक कृषकों ने भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम का सफल संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के सहायक तकनीकी अधिकारी मेदनी प्रताप सिंह द्वारा किया गया। ✍  राधेश्याम चौऋषिया  Radheshyam Chourasiya Radheshyam Chourasiya II ● सम्पादक, बेख़बरो...

मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की पहचान होती है - पूर्व कुलगुरु डॉ शर्मा

वाणिज्य अध्ययनशाला में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के वाणिज्य अध्ययनशाला में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व कुल गुरु डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने विद्यार्थियों को मातृभाषा के महत्व पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि "भाषा व्यक्ति का सर्वोत्तम परिचय है," और यह हमारे व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा है। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की पहचान होती है और यह उसकी संस्कृति, परंपरा, और इतिहास से जुड़ी होती है। डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि मातृभाषा से एक प्रकार का मानसिक और आत्मिक संबंध होता है, जो हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है। जब हम अपनी मातृभाषा में सोचते हैं, बोलते हैं और लिखते हैं, तो हम अपने व्यक्तित्व को सही रूप से व्यक्त कर पाते हैं। यह आत्मविश्वास को बढ़ाने का सबसे सशक्त तरीका है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई दार्शनिकों और वैज्ञानिकों ने अपनी मातृभाषा में ही अपने विचार व्यक्त किए, जिससे उनकी सोच को दुनिया भर में पहचाना गया। कार्यक्रम में शिक्षा...

बेल वृक्ष : शिव से साधक तक - डॉ. मनीषा भारद्वाज

भारतीय ज्ञान परंपराओं को जानना और अपनाना युवाओं के लिए न केवल अपनी पहचान को समझने, बल्कि जीवन में संतुलन और शांति पाने का एक अद्वितीय तरीका है। इसी ज्ञान परम्परा में बेल पत्र का महत्व आता है  । बेलपत्र या बिल्व पत्र भगवान शिव को अर्पण करने की  सदियों से चली आ रही परंपरा न केवल आध्यात्मिक हैं, बल्कि प्रकृति के साथ गहरे संबंधों का भी संदेश देती है । इसके साथ ही बिल्व वृक्ष के धार्मिक, पौराणिक  ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व को भी इंगित करती है । बेल वृक्ष का इतिहास वैदिक काल से ज्ञात है और इसका उल्लेख  प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे कि आयुर्वेद, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता के अतिरिक्त प्राचीन बौद्ध और जैन साहित्य में भी मिलता है । बिल्व फल के छायाचित्र अजंता की गुफाओं में भी उकेरित हैं।हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान नीलकंठ ने इस धरा को विनाश से बचने के लिए हलाहल विष का पान किया । विष  की जलन और तपन को शांत करने के लिए देवताओं के द्वारा भगवान शिव को बेल के पत्ते अर्पण किए । उसी समय भगवान शिव ने प्रसन्न होकर बिल वृक्ष को आशीर्वाद देकर अपना प्रिय व...

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