Skip to main content

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्यों में से लक्ष्य क्रमांक 3 एवं 4 सर्वजन के लिए स्वास्थ्य की प्रतिपूर्ति एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की प्रतिपूर्ति हेतु फार्मेसी संस्थान विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

उज्जैन। फार्मेसी संस्थान विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में व्यक्तिगत विकास एवं चरित्र निर्माण विषय पर भारत सरकार द्वारा संचालित पीएम उषा मेरु के अंतर्गत एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आज दिनांक 25 फरवरी 2025 को आयोजित संगोष्ठी के प्रथम सत्र में डॉक्टर नेहा शर्मा चौधरी, मैनेजिंग डायरेक्टर ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल कॉलेज इंदौर द्वारा फार्मेसी में रोजगार के अवसर पर अपना व्याख्यान दिया गया।  फार्मेसी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्केटिंग प्रोडक्शन एवं रिसर्च शोध में कैसे अपना भविष्य बना सकते हैं पर भी बात की गई। उन्होंने छात्रों को हायर स्टडीज में क्या-क्या आयाम हैं जिसमें छात्र अपना भविष्य सवार सकते हैं के बारे में भी बताया गया। 

यह कार्यक्रम विक्रम विश्वविद्यालय केरियर काउंसलिंग सेल द्वारा आयोजित किया गया । कार्यक्रम का संचालन छात्र विक्की जैन एवं छात्र शिखा देव पाटीदार द्वारा किया गया।

द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में प्रोफेसर राजेंद्र कुमार कुरारिया, कुलगुरु, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, श्री डॉक्टर गुरुदत्त मिश्रा मौसम वैज्ञानिक विशेष अतिथि एवं प्रोफ़ेसर संदीप तिवारी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे ।

प्रोफेसर राजेंद्र कुमार कुरारिया ने  अपने व्याख्यान में बताया कि कैसे छात्र छात्राओं को अपना व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण करना चाहिए, जिससे युवा अपने समाज एवं राष्ट्र का नाम गौरवान्वित कर सकें। मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना, विषम परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानना, वर्तमान परिस्थितियों में सजग रहकर आगे बढ़ना विषय पर उन्होंने अपने प्रयोगात्मक तथ्य प्रस्तुत किये। छात्र-छात्राओं द्वारा जिसे अंगीकृत कर सराहा गया। 

इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे श्री  गुरुदत्त मिश्रा मौसम वैज्ञानिक द्वारा मौसम के अनुरूप कैसे अपने आप को स्थिर रखना बताया गया एवं नए दौर में नई तकनीक का प्रयोग कैसे सभी विषयों को जोड़ता है के सम्बंध में बताया गया।

उपरोक्त कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक डॉक्टर कमलेश दशोरा, एवं दर्शन दुबे तथा सह समन्वयक डॉ नरेंद्र मंडोरिया, डॉ प्रवीण खिरवड़कर, डॉक्टर तनु भार्गव थे। कार्यक्रम में 100 से अधिक छात्र-छात्रा, समस्त शिक्षक, कर्मचारी गण उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन छात्रा धैर्या उपाध्याय एवं यशस्वी शर्मा द्वारा किया गया। आभार डॉक्टर तनु भार्गव द्वारा माना गया।

कार्यक्रम के  सफल आयोजन के लिए प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं डॉक्टर अनिल शर्मा, कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा शुभकामनाए प्रेषित की गई। 

उपरोक्त कार्यक्रम की जानकारी विभागाध्यक्ष डॉ कमलेश दशोरा द्वारा दी गई ।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...