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राष्ट्रीय प्रबंधन दिवस पर आयोजित विशेष संगोष्ठी

'प्रबंध त्रिवेणी प्रबंध संगम' - प्रो भारद्वाज, कुलगुरु

उज्जैन। पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, श्री गुरु सांदीपनी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और प्रशांति इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय प्रबंधन दिवस के अवसर पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का नाम 'प्रबंध त्रिवेणी प्रबंध संगम' रखा गया था, और इसे माननीय कुलगुरू प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलसचिव अनिल शर्मा एफसीए, और प्रो. डॉ. दीपक गुप्ता के शुभकामना संदेश एवं आशीर्वाद के साथ प्रारंभ किया गया।

इस अवसर पर, प्रो. भारद्वाज ने 'अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025' की भावना को ध्यान में रखते हुए तीन संस्थाओं के प्रबंध त्रिवेणी प्रबंध संगम को ज्ञान सहकार की उपमा दी। साथ ही, उन्होंने इस पहल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप बताया और सामूहिक प्रयासों की महत्ता को रेखांकित किया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत और शहर की प्रमुख सामाजिक और बौद्धिक हस्ती, एफसीए आदित्य नामजोशी, आईआईएम इंदौर और जेएनआईबीएम एल्युमनी, तथा ऊर्जा व्यवसाय उद्यमी डॉ. हितेंद्र त्रिवेदी रहे।

कार्यक्रम का मार्गदर्शन प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता, निदेशक, पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने किया।

विशिष्ट वक्ता एफसीए श्री आदित्य नामजोशी ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे केवल नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें। उन्होंने व्यापार में जोखिम को स्वीकार करने का आह्वान किया, विशेष रूप से तब जब वे युवा हैं, क्योंकि यह सही उम्र होती है व्यापार करने के लिए। उन्होंने महिलाओं को भी व्यापार में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उन्हें मल्टीटास्किंग के लिए उपयुक्त बताया। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि भारत और राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाओं के तहत आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे व्यापार करना आज पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।

सौर ऊर्जा उद्यमी डॉ. हितेंद्र त्रिवेदी ने युवाओं से कहा कि यह समय उद्यमिता के लिए बहुत उपयुक्त है, क्योंकि भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और सरकार की अनुकूल नीतियाँ उद्यमियों के लिए अनगिनत अवसर प्रदान करती हैं। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने व्यक्तित्व और रुचियों के अनुसार व्यवसाय का चयन करें, क्योंकि इस तरह के व्यवसाय में सफलता की संभावना अधिक होती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. दो. कामरान सुल्तान, डीन, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट ने संगोष्ठी में भाग लेने वाले दोनों पूर्व विद्यार्थियों के प्रेरक संबोधनों को अनुकरणीय बताते हुए कहा कि यह संगोष्ठी उपस्थित विद्यार्थियों और शोधार्थियों के जीवन में दिशा परिवर्तन का कारण बनेगी। उन्होंने विशेष रूप से नई डिजिटल क्रांति और तकनीकी कौशल में वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने अतिथियों का परिचय दिया और विद्यार्थियों को उद्यमिता और विभिन्न स्टार्टअप्स का चयन करते समय अपनी रुचि, ज्ञान और प्रबंधकीय कौशल के अनुरूप उद्योग प्रारंभ करने का निर्णय लेने की महत्ता पर बल दिया।

जेएनआईबीएम संकाय सदस्य डॉ. सचिन राय ने भी विद्यार्थियों को महाकुंभ मेले के दौरान उत्पन्न नई व्यापार संभावनाओं से जोड़ते हुए उद्यमिता के सूत्रों पर प्रकाश डाला।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री गुरु सांदीपनी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के निदेशक श्री आशुतोष मीना और प्रशांति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के निदेशक श्री अवनीश गुप्ता का विशेष योगदान रहा। संगोष्ठी में श्री गुरु सांदीपनी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और प्रशांति मैनेजमेंट संस्थान के विद्यार्थियों और शिक्षकों, डॉ. गीता तोमर, सुहानी नाहटा, अनमोल विपट, अनुराग सक्सेना, मयूरी, कविता, श्रेया, शोधार्थी अजय जायसवाल, सचिन बघेल, वसीम खान ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन आईआईसी-आईक्यूएसी की डॉ. नयनतारा डामोर और आभार व्यक्त करने का कार्य राशि सक्सेना और डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव ने किया।

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