पद और कद कितना ही बढे पर, व्यवहार समान रहना चाहिए - प्रो. वर्मा, कुलगुरु
उज्जैन। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा ने विक्रम विश्वविद्यालय की वाणिज्य अध्ययनशाला द्वारा आयोजित "गेस्ट टॉक" कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम विषयक व्याखयान पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, "पद और कद कितना ही बढ़े पर व्यवहार समान रहना चाहिए।"
प्रो. वर्मा ने कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया कि हमारे पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रमुखता से स्थान दिया जा रहा है, क्योंकि जिस उन्नत ज्ञान का श्रेय हम पाश्चात्य देशों को देते आए हैं, उसका उद्गम कहीं न कहीं भारत से ही हुआ है। उन्होंने इस बात को धर्म और संस्कृति आधारित तथ्यों के माध्यम से विस्तृत रूप से समझाया।
कार्यक्रम की शुरुआत में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष और वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार भारल ने अतिथियों का स्वागत और भारतीय ज्ञान परंपरा के पाठ्यक्रम में समावेश का महत्त्व बताते हुए विषय परिचय दिया।
इस अवसर पर डॉ. आशीष मेहता, डॉ. राकेश पंड्या, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. अनुभा गुप्ता, डॉ. कायनात तवर, डॉ. परिमिता सिंह, श्री प्रवीण शर्मा, श्री मुकेश बठानिया तथा विद्यार्थीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन डॉ. नागेश पाराशर ने किया।
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