Skip to main content

आईसीएआर - केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल में 10 दिवसीय केन्द्रीय उन्नत संकाय प्रशिक्षण पर पोषणिक उत्पाद (न्यूट्रास्युटिकल) विषय पर प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏

भोपाल । आईसीएआर - केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान , भोपाल में केन्द्रीय उन्नत संकाय प्रशिक्षण के तहत "न्यूट्रास्युटिकल पहलू" विषय पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 4 मार्च से 13 मार्च 2025 तक सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस उच्चस्तरीय प्रशिक्षण में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं उद्योगों के वैज्ञानिकों एवं प्रोफेसरों ने मुख्य वक्ता के रूप  मे भाग लिया। यह कार्यक्रम ज्ञान विनिमय, क्षमता निर्माण तथा न्यूट्रास्युटिकल अनुसंधान के नवीनतम विकासों से अवगत कराने के लिए एक प्रभावी रहा। उन्होंने न्यूट्रास्युटिकल्स, फंक्शनल फूड डेवलपमेंट, बायोएक्टिव कंपाउंड्स, और उन्नत विश्लेषण तकनीकों पर विस्तृत सत्रों का संचालन किया। चर्चा का मुख्य केंद्र न्यूट्रास्युटिकल्स का मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा एवं सतत प्रसंस्करण तकनीकों में योगदान रहा।

डॉ. एस.पी. दत्ता, निदेशक, आईसीएआर - भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल, समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने मानव स्वास्थ्य और कल्याण में न्यूट्रास्यूटिकल्स की भूमिका पर जोर दिया। डॉ. सी.आर. मेहता, निदेशक, आईसीएआर - केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल, ने सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने न्यूट्रास्यूटिकल्स के स्रोत, निष्कर्षण, शुद्धिकरण और उचित फॉर्मूलेशन पर प्रकाश डाला।  प्रशिक्षण समन्वय डॉ. एम.के. त्रिपाठी (प्रधान वैज्ञानिक) ने बताया की प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों ने 10 से अधिक उच्च तकनीकी प्रयोगशालाओं एवं उद्योगों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने नवीनतम सुविधाओं, उत्पादों और उन्नत प्रसंस्करण तकनीकों को करीब से देखा। इसके अतिरिक्त, ड्रोन तकनीक, आई.ओ.टी - आधारित नवाचारों और सेंसर-इंटीग्रेटेड सिस्टम की लाइव डेमोंस्ट्रेशन भी प्रदान की गई, जो खाद्य प्रसंस्करण एवं न्यूट्रास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। विशेष रूप से मोटे अनाज और सोयाबीन एवं उनके उप-उत्पादों में मौजूद न्यूट्रास्युटिकल गुणों पर गहन चर्चा की गई। इनमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट, बायोएक्टिव पेप्टाइड्स, और फाइटोएस्ट्रोजेन्स के स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला गया। ● मोटे अनाज : फाइबर, फेनोलिक यौगिक, और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो मधुमेह, हृदय रोगों एवं पाचन स्वास्थ्य में लाभकारी होते हैं। इन पोषणिक घटकों के निकर्षण, शुद्धिकरण एवं उनके औषधीय और खाद्य उद्योगों में अनुप्रयोग पर विशेष व्याख्यान हुए। न्यूट्रास्युटिकल्स के औषधीय अनुप्रयोगों जैसे एनर्जी सप्लीमेंट्स, औषधीय फॉर्मूलेशन, और इम्यूनोबूस्टर उत्पादों में उपयोग पर भी चर्चा की गई। साथ ही, खाद्य उद्योग में इनका उपयोग जैसे फोर्टिफाइड फूड, फंक्शनल बेवरेजेस, और पोषणिक स्नैक्स के रूप में विस्तार से बताया गया।

प्रतिभागियों को न्यूट्रास्युटिकल अनुसंधान हेतु अत्याधुनिक विश्लेषणात्मक उपकरणों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसमें प्रमुख रुप में जो शामिल हैं वे इस प्रकार रहे : 

● गैस क्रोमैटोग्राफी - मास स्पेक्ट्रोमेट्री – बायोएक्टिव कंपाउंड की पहचान हेतु, फूरियर ट्रांसफॉर्म इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी – फंक्शनल ग्रुप विश्लेषण हेतु, हाई-परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी – पोषण प्रोफाइलिंग हेतु, सेल लाइन एवं टिशू कल्चर तकनीक – बायोएक्टिविटी अध्ययन हेतु रहे। 

कार्यक्रम में डॉ. करन सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी विभागाध्यक्ष, डॉ. एम.के. त्रिपाठी, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वय, डॉ. अदिनाथ  काटे और डॉ. दिलीप पवार सह - एवं  समन्वयक सम्मिलित रहे। इस प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों को नवीनतम अनुसंधान, तकनीकी कौशल, एवं व्यावसायिक अवसरों से जोड़ा। न्यूट्रास्युटिकल विज्ञान में नवाचारों को बढ़ावा देने एवं खाद्य और औषधीय उद्योग में सतत विकास हेतु यह एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।

✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

"बेख़बरों की खबर" फेसबुक पेज...👇

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर

"बेख़बरों की खबर" न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट... 👇

https://www.bkknews.page

"बेख़बरों की खबर" ई-मैगजीन पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें...👇https://www.readwhere.com/publi.../6480/Bekhabaron-Ki-Khabar

🚩🚩🚩🚩 आभार, धन्यवाद, सादर प्रणाम। 🚩🚩🚩🚩

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...