Skip to main content

"स" शब्दों से सरोबार सप्तरंगीय मध्यप्रदेश बजट 2025 - प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता

प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता जी

 समीक्षा : म.प्र. बजट 2025

माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में सरकार के दूसरे बजट में म.प्र. के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने संस्कृत की सूक्तियों/सूत्रों से समारंभ करते हुए अपने सरल स्वभाव अनुरूप साहित्य के स शब्द का सर्वाधिक सदुपयोग करते हुए राज्य के बजट में सुगम परिवहन से सड़क, सिंचाई से स्वास्थ्य, सिंहस्थ से स्टेडियम, स्टार्टअप से सहकारी बैंकों तक, संग्रहालयों से स्मारकों तक, सोलर पार्क से स्वच्छ भारत मिशन, समृद्ध गांव से साहित्य विक्रय तक, और सफेद (श्वेत) क्रांति से संबल योजना तक के लिए 700 करोड़ रुपये तक की गहन संभावनाओं के संपोषणीय स्वरूप को बढ़ावा देने का सफल प्रयास किया है।

बजट प्रस्तावों में बुनियादी ढांचे के लिए 70,515 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास के लिए 50,333 करोड़ रुपये, शिक्षा के लिए 44,826 करोड़ रुपये और कृषि के लिए 58,257 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। बजट में सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए करीब 2 ट्रिलियन रुपये अलग रखे गए हैं। कोई नया टैक्स भार नहीं लगाए गए हैं, महिलाओं, किसानों और अधोसंरचनाओं पर जोर देते हुए प्रदेश में 5 वर्षों में 1 लाख किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य भी है। सभी वर्गों को सप्तरंगीय स्वरूपों से साधने का सराहनीय संकल्प वित्त मंत्री ने व्यक्त करते हुए लाड़ली बहनाओं को केंद्र की योजनाओं से जोड़े जाने का भरोसा दिलाया है।

बजट में कुल 15% की वृद्धि प्रस्तावित करते हुए, गरीबों को अनाज के लिए 7,132 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। विकसित मध्य प्रदेश के लक्ष्य के साथ यह बजट 4.20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का है। प्रदेश में निवेश के लिए नई नीतियों के साथ, एक जिला-एक उत्पाद पर फोकस, सीएम राइज स्कूल के लिए 1,017 करोड़ रुपये का प्रावधान करते हुए कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल बनाए जाने, डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना, 50 छात्रों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने तक की नई रचनात्मक पहल की तो आलोचकों तक ने सराहना की है।

राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2025-26 में 16 लाख 94 हजार 477 करोड़ रुपये रहना अनुमानित है, 14,500 एकड़ भूमि पर 39 नए औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लक्ष्य के साथ 3 लाख से अधिक रोजगार के अवसर होंगे, 10,000 नए स्टार्टअप्स स्थापित होने की उम्मीद है। इस वर्ष उद्योगों को दिए जाने वाले इंसेंटिव के लिए 3,250 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।

जनजातीय क्षेत्र के समग्र विकास के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान को प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश की हर विधानसभा में एक स्टेडियम का निर्माण होगा, साथ ही 22 नए होस्टल्स और 22 नए आईटीआई कॉलेजों का निर्माण किया जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मध्य प्रदेश में डिजिटल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी।

धान बोनस के लिए 850 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। किसान प्रोत्साहन योजना के लिए 5,230 करोड़ रुपये का प्रावधान है, किसानों को शून्य ब्याज पर लोन दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में नई योजना के साथ ही क्षतिग्रस्त पुलों का पुनर्निर्माण प्रारंभ किया जा रहा है। उज्जैन हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा, जल जीवन मिशन के लिए 17,135 करोड़ रुपये का प्रावधान भी है।

आगामी 5 वर्षों में 500 रेलवे ओवर ब्रिज और फ्लाईओवर निर्मित किए जाएंगे। इस वर्ष 3,500 किलोमीटर नई सड़क तथा 70 पुल बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2028 के सिंहस्थ के लिए 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सामाजिक और आर्थिक उत्थान की योजनाओं के लिए 2,01,282 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

आंगनबाड़ी सेवाओं के लिए 3,729 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। नारी शक्ति संबंधी विभिन्न योजनाओं के लिए 26,797 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के लिए 18,669 करोड़ रुपये का प्रावधान है। मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना में 145 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गोशालाओं में पशु आहार के लिए प्रति गोवंश प्रतिदिन 20 रुपये को दोगुना कर 40 रुपये किया जा रहा है।

गो संवर्धन एवं पशुओं का संवर्धन योजना के लिए 505 करोड़ रुपये, कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए 58,257 करोड़ रुपये का बजट समाज के एक बड़े वर्ग को लाभान्वित करेगा। किसानों को सहकारी बैंकों से ब्याज मुक्त ऋण के लिए 694 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा से ग्रामीण नागरिकों को सस्ता और सुलभ परिवहन के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

तीर्थ दर्शन योजना के लिए 50 करोड़ रुपये, श्री कृष्ण पाथेय योजना के लिए 10 करोड़ रुपये, राम पथ गमन योजना के लिए 30 करोड़ रुपये का स्वागत योग्य प्रावधान किया गया है। गीता भवन में पुस्तकालय, सभागार, साहित्य सामग्री विक्रय केंद्र बनाए जाएंगे, इसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। पर्यटन, संस्कृति और धर्मस्व क्षेत्र में 1,610 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, जो गत वर्ष की तुलना में 133 करोड़ रुपये अधिक है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक और 14 सांस्कृतिक स्मारकों का निर्माण 507 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र का कुल बजट 23,535 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है, जो गत वर्ष की तुलना में 2,992 करोड़ रुपये अधिक है। आयुष्मान योजना के लिए 2,039 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।

समृद्ध व्यक्ति और परिवार के साथ ही समृद्ध गांव की संकल्पना के तहत मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना प्रारंभ की जाएगी। यहां पशुपालन, मछली पालन तथा खाद्य संस्करण को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। पंचायत को सर्वांगीण विकास में सहायता देने के उद्देश्य से मूलभूत सेवाओं के लिए अनुदान 2,507 करोड़ रुपये की वृद्धि करते हुए इस वर्ष 6,007 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है।

मनरेगा के लिए 4,400 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना के लिए 4,400 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री जन धन योजना सड़क के लिए 1,056 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण के लिए 960 करोड़ रुपये। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 800 करोड़ रुपये, स्वच्छ भारत मिशन के लिए 594 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 227 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं।

जल गंगा संवर्धन अभियान भी बजट में शामिल है। विश्व के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, निमाड़ क्षेत्र के ओंकारेश्वर में उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर ओंकारेश्वर महालोक का निर्माण, आर्थिक, सामाजिक, और भौगोलिक पर्यटन की नई असीमित संभावनाओं के द्वार खोलेगा। अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रणेता आचार्य शंकर के जीवन दर्शन के प्रसार के उद्देश्य से संग्रहालय एवं आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान को विकसित किया जा रहा है।

वित्तमंत्री जी ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मध्य 2,000 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क विकसित करने की घोषणा भी की है। मुरैना में प्रदेश का प्रथम सोलर पावर स्टोरेज संयंत्र की स्थापना की जा रही है।

समग्रता से विश्लेषण करते हुए परिलक्षित होता है कि स शब्दों से सरोबार सप्तरंगीय स्वरूपों का यह बजट सर्वसाधारण और सामाजिक सपनों को भी समग्रता से पूरे करने में निश्चित रूप से अत्यंत रचनात्मक और सराहनीय प्रयास है। उम्मीद की जानी चाहिए कि माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के यशस्वी युवानेतृत्व में सभी स्तरों पर सभी योजनाओं का क्रियान्वयन भी स शब्दों से सरोबार सप्तरंगीय म.प्र. बजट 2025 जनता जनार्दन एवं सभी वर्गों की अपेक्षाओं को पूरा करते हुए प्रदेश के नागरिकों के जीवन स्तर और प्रति व्यक्ति आय में भी निसंदेह वृद्धि करेगा।

निजी और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को भी आगे होकर राज्य सरकार की इंडस्ट्री-फ्रेंडली निवेश नीतियों में इन नवीन अनुकरणीय क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभाते हुए दिखाई देना चाहिए। यह सुखद तथ्य सभी को स्वीकारना चाहिए कि राज्य सरकारों को भी शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, ग्रामीण परिवहन, कृषि ग्रामीण विकास, सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अपनी सफल सक्रिय भूमिका को निरंतर बढ़ावा देने पर आवंटन वृद्धि प्रदान करने हेतु केंद्र सरकार की ही तरह स्व संसाधनों से सुलभ फंडिंग करवाना आज की आवश्यकता है।

(लेखक, प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विवि उज्जैन में संप्रति निदेशक हैं।)

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...