उज्जैन। युवा बैरवा समाज, उज्जैन द्वारा संत शिरोमणि महर्षि बालीनाथ जी महाराज की पावन जयंती के अवसर पर दिनांक 09 मार्च 2025 रविवार को 'संत शिरोमणि महर्षि बालीनाथ जी महाराज का जीवन और संदेश' विषय पर एक दिवसीय सेमिनार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यालय, उज्जैन पर आयोजित किया गया। सेमिनार के मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व महापौर श्री मदनलाल ललावत, मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष आचार्य डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उपस्थित रहे।
सेमिनार के प्रारंभ में संत बालीनाथ जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलन अतिथिगण श्री मदनलाल ललावत, डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, डॉ. प्रभुलाल जाटवा, श्री जयप्रकाश जूनवाल, डॉ. हेमंत जीनवाल, डॉ. नरेन्द्र गोमे, डॉ. अनिल जूनवाल एवं इंजी. सुशील वाडिया द्वारा किया गया।
तत्पश्चात संत बालीनाथजी की वंदना युवा साहित्यकार डॉ. राजेश रावल द्वारा प्रस्तुत की गई अतिथियों का पुष्पहार से अभिनंदन सर्वश्री डॉ. श्याम निर्मल, डॉ. राजेश रावल, श्री नितिन बीजापारी, श्री कल्याण शिवहरे, श्री मनोहर बमनावत, डॉ. महिमा मरमट, डॉ. छाया मरमट, डॉ. राज बोरिया, श्री हंसराज बेण्डवाल आदि द्वारा किया गया।
सेमिनार के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष आचार्य डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने महर्षि बालीनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए अपने व्याख्यान में महाराज श्री को आधुनिक युग का प्रणेता बताते हुए उल्लेखित किया गया कि 1857 की महान कांति के ठीक बारह वर्ष बाद 1869 में राजस्थान के दौसा जिले में जन्में संत बालीनाथ जी पलायन नही, परिवर्तन के हिमायती थे, संत श्री केवल मुक्ति या भक्ति और वैराग्य नही, समाज सुधार एवं निर्माण के लिये जन्मे थे।
आचार्य डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने अपने उदबोधन में संतश्री बालीनाथ जी के अवतरण को सही अर्थों में एक समाज सुधारक बताया और कहा कि उस समय की सामाजिक कुरीतियों, रूढियों, गलत परम्पराओं, अंधविश्वास का संत बालीनाथ जी ने घोर विरोध ही नही किया बल्कि आगे बढकर इन कुरीतियों को सुधारने का कार्य भी किया।
संतश्री ने समाज में शुद्ध सात्विक परम्पराओं का मंगल प्रवेश करावाकर अंधविश्वासों से समाज का मुक्त करवाया। सेमिनार के मुख्य अतिथि पूर्व महापौर श्री मदनलाल ललावत ने संतश्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत बालीनाथ जी ने अपने सत्संग प्रवचन के माध्यम से लोगों को चोरी, डकैती, शराब, मांसाहार जैसी राक्षसी प्रवृत्तियों से दूर रहने के लिये प्रेरित किया और अपने निर्वाण 1925 तक समाज सुधार की दिशा में ही सदैव अग्रसर रहे। सेमिनार के अंतर्गत संत बालीनाथ जी महाराज के जीवन पर साहित्यिक अवदान के लिये डॉ. राजेश रावल का अतिथियों द्वारा पुष्पहार, शॉल से अभिनंदन किया गया एवं चित्रकार डॉ. छाया मरमट द्वारा तत्समय ही संत बालीनाथ जी महाराज का चित्र बनाने के उपलक्ष्य में पुष्पहार एवं शॉल से अभिनंदन किया गया।
सेमिनार के दौरान युवा बैरवा समाज के पदाधिकारियों द्वारा संत श्री बालीनाथ जी महाराज के निर्वाण के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संत बालीनाथ जी निर्वाण शताब्दी के अंतर्गत मार्च 2025 से लेकर मार्च 2026 तक निरंतर धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, रोजगारोन्मुख, उद्यमिता, शिक्षा के प्रचार प्रसार, महिला स्वावलम्बी सहित अनेकानेक प्रेरणादायी आयोजन करने का महनीय संकल्प भी लिया गया। इस अवसर पर डॉ. मणि मिमरोट, श्री जितेन्द्र तिलकर, श्री लोकेश जीनवाल, श्री ब्रजमोहन नागवंशी, श्री जीएल परमार, श्री अजय जागरी, श्री धमेन्द्र बरुआ, श्री राजकुमार बंशीवाल, संतोष कोलवाल, श्री विजय अकोदिया, श्री अजय सहित बैरवा समाज के गणमान्य प्रबुद्धगण उपस्थित रहे।
सेमिनार के समन्वयक डॉ. अनिल जूनवाल द्वारा संचालन किया। आभार प्रदर्शन सेमिनार के आयोजक सुशील वाडिया द्वारा किया गया।
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