उज्जैन। सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में पांडुलिपि का विविध विषयों से अंतः सम्बन्ध पर केंद्रित पांच दिवसीय कार्यशाला 22 से 26 अप्रैल तक आयोजित की गई। आज कार्यशाला का समापन समारोह सम्पन्न हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय एवं संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो बालकृष्ण शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं संस्थान के वर्तमान निदेशक प्रो शीतांशु रथ उपस्थित थे।
इस सत्र में पूर्व कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने पांडुलिपि विज्ञान को एक महत्वपूर्ण विषय बताया जिसके अंतर्गत पांडुलिपियों के रखरखाव, संपादन एवं संरक्षण आदि संबंधित है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस विषय को व्यावहारिक स्वरूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।
विशिष्ट वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने पांडुलिपियों को एक जीवंत धरोहर बताया। इस सत्र में सतीश दवे एवं आलोक निगम ने अपना फीडबैक प्रस्तुत किया तथा समीक्षा चौधरी ने पांच दिवसों के कार्यक्रम को प्रतिवेदन के माध्यम से प्रस्तुत किया।
समापन सत्र से पूर्व कार्यशाला में सहभागिता करने वाले प्रतिभागियों की एक परीक्षा आयोजित की गई। उसके पश्चात समापन सत्र आयोजित हुआ। सभी सहभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
प्रतिभागियों सहित आज इस कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक जे एस तोमर, डॉ सर्वेश्वर शर्मा डॉ महेंद्र पंड्या, डॉ हेमंत लोदवाल, डॉ अजय शर्मा सहित अनेक शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रतिष्ठान संयोजिका डॉ प्रीति पांडे ने किया एवं आभार डॉक्टर महेंद्र पंड्या ने किया।
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