उज्जैन। हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व यकृत दिवस इस वर्ष 2025 में “फूड इज़ मेडिसिन” थीम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज ने पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान परिसर में आयोजित विशेष जागरूकता कार्यक्रम में कहा कि संतुलित और पौष्टिक आहार ही यकृत को स्वस्थ रखने की सबसे सरल और प्रभावी कुंजी है।
उन्होंने कहा कि विश्व यकृत दिवस का मुख्य उद्देश्य यकृत (लीवर) से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम, जागरूकता और सही जानकारी प्रदान करना है। इस वर्ष की थीम “भोजन ही दवा है” का उद्देश्य आमजन को यह संदेश देना है कि यदि हम अपने आहार में सही खाद्य पदार्थों को शामिल करें तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है, विशेष रूप से यकृत रोगों से।
प्रो. भारद्वाज ने बताया कि जैतून का तेल, हरी सब्जियाँ, ताजे फल, मेवे, फलियाँ, साबुत अनाज, अंगूर, पपीता और समुद्री भोजन जैसे तत्व लीवर के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। वहीं, लाल मांस और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि त्वरित समाधान देने वाले डाइट प्लान या क्रैश डाइट्स प्रारंभ में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से ये लीवर की सेहत के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान ॐ साईं फरिश्ते फाउंडेशन के संस्थापक एवं नगर पालिक निगम उज्जैन के ब्रांड एंबेसडर डॉ. जितेन्द्र रायकवार ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि यकृत शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है। यह शरीर के कई अन्य अंगों को भी स्वस्थ रखने और किसी भी बीमारी से शीघ्र उबरने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेन्द्र मेहता ने अपने वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का उल्लेख करते हुए कहा कि एसडीजी 3 के तहत अच्छे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ावा देने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि विश्व यकृत दिवस यह याद दिलाता है कि यदि हम अपने जीवनशैली और खानपान में छोटे-छोटे बदलाव करें, तो यह हमारे जीवन को न केवल लंबा बल्कि बेहतर बना सकता है।
गौरतलब है कि विश्व लिवर दिवस की शुरुआत वर्ष 1996 में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ द लिवर द्वारा की गई थी। तब से यह दिन हर वर्ष 19 अप्रैल को लीवर से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने और लोगों को उनकी रोकथाम के प्रति सजग करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से नागरिकों को स्वस्थ आहार, संयमित जीवनशैली और यकृत स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरूक किया गया, जिससे भविष्य में लीवर संबंधित समस्याओं को कम किया जा सके।
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