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विश्व रचनात्मकता एवं नवाचार दिवस: जल संरक्षण और नवाचार का संगम

पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों ने दी रचनात्मकता की मिसाल

निर्णयन एवं रचनात्मकता प्रबंधन में जरूरी - प्रो.भारद्वाज, कुलगुरु

उज्जैन। पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में विश्व रचनात्मकता एवं नवाचार दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष आयोजन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने अपने संदेश में निर्णयन एवं रचनात्मकता प्रबंधन के आपसी संबंध की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों को जल संरक्षण के लिए रचनात्मक पहल की प्रेरणा दी।

उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत पुण्य सलिल संरक्षण संरचना ट्रे तथा नदियों – गंगा, गोदावरी, नर्मदा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गंडकी एवं शिप्रा – के प्रतीक स्वरूप जल कलशों की प्रतिकृति को “बेहतर कल के लिए एक अवसर” की संज्ञा देते हुए इन नवाचारों की सराहना की। उन्होंने अपशिष्ट प्रबंधन में रचनात्मक युक्तियों के प्रयोग की आवश्यकता बताते हुए विद्यार्थियों से कौशल विकास में नवाचार को प्राथमिकता देने की अपेक्षा जताई।

इस अवसर पर संस्थान के शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि रचनात्मकता केवल तकनीकी नवाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सरोकारों, विशेषकर जल संरक्षण जैसे विषयों में भी अत्यंत प्रभावी भूमिका निभा सकती है। विद्यार्थियों ने बताया कि प्रतीकात्मक जल कलशों के माध्यम से उन्होंने न केवल भारत की पुण्य सलिल नदियों के महत्व को रेखांकित किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि अगली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

प्रो. डॉ. मेहता ने बताया कि विश्व रचनात्मकता एवं नवाचार दिवस की स्थापना कनाडा की महिला मार्सी सेगल ने की थी। जब वे इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्टडीज इन क्रिएटिविटी में अध्ययन कर रही थीं, तब एक समाचार पत्र में "कनाडा क्रिएटिविटी संकट में" शीर्षक देखकर उनके मन में यह विचार आया कि रचनात्मकता के माध्यम से किसी भी समस्या का समाधान संभव है। उनकी इसी सोच ने इस दिवस की नींव रखी, जिसका उद्देश्य है – मानव विकास के सभी पहलुओं में रचनात्मकता और नवाचार की भूमिका को प्रोत्साहित करना।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 27 अप्रैल 2017 को इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव पारित किया और पहली बार 21 अप्रैल 2018 को इसे विश्व रचनात्मकता एवं नवाचार दिवस के रूप में मनाया गया। इसकी स्थापना 25 मई 2001 को टोरंटो, कनाडा में हुई थी।

आयोजन में प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान, प्रो. डॉ. डी. डी. बेदिया, डॉ. सचिन राय एवं डॉ. नयनतारा डामोर ने भी अपने विचार रखते हुए विद्यार्थियों को नवाचार की दिशा में और अधिक सक्रिय होने की प्रेरणा दी। प्रो. डॉ. डी. डी. बेदिया ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों में नवाचार की भावना और सामाजिक सरोकारों की समझ विकसित होती है।

यह आयोजन न केवल रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने का एक मंच बना, बल्कि जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता बढ़ाने का प्रभावी माध्यम भी सिद्ध हुआ।

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