अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर फिल्म समीक्षा : "मिसेज" और "दो पत्ती" : महिलाओं के उत्पीड़न पर एक नई दृष्टि
हिंसा के भेद: 'मिसेज' और 'दो पत्ती' फिल्म के संदेश ✍️ बबली चतुर्वेदी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक ऐसा अवसर है, जब हम महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों पर विचार करते हैं। यह दिन न केवल महिला सशक्तिकरण की बात करता है, बल्कि उनके संघर्षों और योगदानों को भी पहचानता है। 2025 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विषय होगा “सभी महिलाओं और बालिकाओं के लिए : अधिकार, समानता, सशक्तिकरण।” पिछले कुछ वर्षों में, बॉलीवुड फिल्मों ने महिलाओं के मुद्दों पर खास ध्यान दिया है और उन पर आधारित कहानियां भी प्रस्तुत की हैं। ऐसी ही दो फिल्में हैं – "मिसेज" और "दो पत्ती", जो घरेलू हिंसा और महिला उत्पीड़न के मुद्दे को एक नए दृष्टिकोण से पेश करती हैं। "मिसेज" – मानसिक उत्पीड़न भी हिंसा है "मिसेज" एक संवेदनशील और प्रभावी कहानी है, जो मानसिक उत्पीड़न के मुद्दे को बहुत प्रभावी ढंग से सामने लाती है। इस फिल्म की नायिका ऋचा (सान्या मल्होत्रा) एक ऐसे पारिवारिक माहौल में फंसी हुई हैं, जहां उसकी इच्छाओं और स्वतंत्रता को पूरी तरह से नकारा जाता है। उसकी सास, स...