कालिदास समारोह में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में हुआ कालिदास साहित्य के सन्देश और उन पर शोध की नई दिशाओं पर विमर्श
जीवन के सभी पक्षों में उन्नति के सूत्र हैं कालिदास की वाणी में – प्रो शुक्ल कालिदास साहित्य पर नई दृष्टियों से शोध की आवश्यकता है – पूर्व कुलपति डॉ मोहन गुप्त उज्जैन। मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह के आयोजन के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का द्वितीय सत्र आयोजित किए गया। इस सत्र में कालिदास साहित्य के सन्देश और उन पर शोध की नई दिशाओं पर व्यापक विमर्श हुआ। सत्र की अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो भगवत्शरण शुक्ल ने की। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं पूर्व संभागायुक्त डॉ मोहन गुप्त, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ विद्वान प्रो केदारनारायण जोशी, प्रो सरोज कौशल एवं विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर विचार व्यक्त किए। प्रो. भगवतशरण शुक्ल वाराणसी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कालिदास के विषय में जो कहा जाए वह अच्