Skip to main content

एक करोड़ 16 लाख परिवारों को साढ़े सात लाख मैट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित

मार्च, अप्रैल, मई तीन माह के खाद्यान्न का एक मुश्त वितरण


उज्जैन 30 अप्रैल। राज्य शासन द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत मार्च, अप्रैल और मई का 889090.4 एमटी खाद्यान्न में से 89 प्रतिशत खाद्यान्न का एक मुश्त वितरण किया गया। इससे प्रदेश के एक करोड़ 16 लाख 84 हजार 560 जरूरतमंद लाभान्वित हुए हैं।


प्रमुख सचिव, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के चलते प्रदेश में सर्वाधिक 102 प्रतिशत खाद्यान्न वितरण दमोह जिले में किया गया। इस जिले के 2 लाख 91 हजार 34 जरूरतमंद परिवारों को एक लाख 64 हजार 8 एमटी खाद्यान्न वितरण किया गया है। कटनी 95 प्रतिशत खाद्यान्न वितरण वाला दूसरा जिला बना। यहाँ पर 2 लाख 14 हजार 839 जरूरतमंद परिवारों को जिले को आवंटित एक लाख 4 हजार 896 एमटी खाद्यान्न में से एक लाख 2 हजार 912 मैट्रिक टन खाद्यान्न वितरण किया गया।


प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने बताया कि मंडला, सागर एवं उमरिया जिले आवंटित खाद्यान्न का 94-94 प्रतिशत खाद्यान्न वितरित कर तीसरे स्थान पर रहे। इन जिलों में से मंडला में 2 लाख 48 हजार 292, सागर में 4 लाख 9 हजार 476 एवं उमरिया में एक लाख 32 हजार 236 जरूरतमंद परिवारों को खाद्यान्न वितरण का लाभ मिला।


प्रमुख सचिव ने बताया कि अलीराजपुर जिले में 70 प्रतिशत खाद्यान्न वितरण हुआ। जिले को आवंटित 12091 एमटी खाद्यान्न में से एक लाख 23 हजार 762 जरूरतमंद परिवारों को 10 हजार 393 एमटी खाद्यान्न प्राप्त हुआ। अलीराजपुर 70 प्रतिशत वितरण के बावजूद निम्नतम स्थान पर रहा। प्रदेश में सर्वाधिक कोरोना प्रभावित इंदौर, उज्जैन एवं भोपाल जिले में लॉकडाउन के कारण क्रमश: 85, 87 और 90 प्रतिशत खाद्यान्न वितरित किया गया। प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रदेश में खाद्यान्न वितरण में लॉकडाउन एवं कोरोना संक्रमण की केन्द्र शासन की गाइड लाइन्स के अनुरूप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...