Skip to main content

प्रदेश में कोरोना संक्रमण में आई उल्लेखनीय कमी : मुख्यमंत्री श्री चौहान

टेस्ट किए गए प्रकरणों में मात्र 2.4 प्रतिशत पॉजिटिव : इंदौर के 451 टेस्ट में से 10 पॉजिटिव


मुख्यमंत्री ने की कोरोना पर नियंत्रण की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा 


भोपाल : गुरूवार, अप्रैल 30, 2020, 20:11 IST


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण में उल्लेखनीय कमी आई है। आज 30 अप्रैल को आई टेस्ट रिपोर्ट में प्रदेश में मात्र 2.4 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। भोपाल में 1.9 प्रतिशत इंदौर में 2.2 प्रतिशत तथा जबलपुर में 4.4 प्रतिशत प्रकरण पॉजिटिव पाए गए हैं। यह अच्छे संकेत हैं। हम शीघ्र ही कोरना को परास्त करेंगे। श्री चौहान मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोरोना की नियंत्रण एवं बचाव संबंधी व्यवस्थाओं की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा कर रहे थे।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब इंदौर की स्थिति में भी निरंतर तेज गति से सुधार हो रहा है। आज की टेस्ट रिपोर्ट में इंदौर के 451 टेस्ट रिजल्ट में से मात्र 10 पॉजिटिव आए हैं। प्रदेश की 30 अप्रैल की टेस्ट रिपोर्ट में कुल 2617 टेस्ट में से केवल 65 टेस्ट पॉजिटिव आए हैं। भोपाल के 1275 टेस्ट रिजल्ट में से 25 तथा जबलपुर के 157 टेस्ट रिजल्ट में से 7 पॉजिटिव आए हैं। यद्यपि उज्जैन के 94 टेस्ट रिजल्ट  में से 11 प्रकरण पॉजिटिव मिले हैं।


पुनः निर्धारित करें संक्रमित क्षेत्र


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि भारत सरकार द्वारा दी गई नई गाइड लाइन के अनुसार प्रदेश के कोरोना संक्रमण क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया जाए। अनावश्यक क्षेत्रों को संक्रमण क्षेत्रों में से हटाया जाए।


भोपाल में कोई वेंटिलेटर पर नहीं


लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में कोरोना मरीजों की हालत में भी निरंतर सुधार हो रहा है। बड़ी संख्या में रोज मरीज डिस्चार्ज होकर अपने घर जा रहे हैं। भोपाल में कोई भी मरीज वेंटिलेटर पर नहीं है तथा इंदौर में केवल 6 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में मरीजों के स्वस्थ होने से हमारे एक्टिव केसेस की संख्या अब 2006 है।


एक भी मृत्यु न हो, ऐसे प्रयास करें


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में एक भी कोरोना मरीज़ की मृत्यु न हो, ऐसे प्रयास किए जाएँ। सभी जिलों में बेस्ट ट्रीटमेंट सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने डॉक्टर्स की एडवाइजरी कमिटी की एक 1 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के निर्देश दिए।


नए क्षेत्रों में संक्रमण ना फैले


मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि संक्रमित क्षेत्रों से कोई भी आ-जा ना सके, इस बात का कड़ाई से पालन कराया जाए, जिससे नए क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण ना फैले। घनी बस्तियों पर विशेष नजर रखी जाए। अभी भोपाल का मंगलवारा  क्षेत्र संक्रमित हुआ है।


प्रदेश के 3 जिले रेड जोन में


अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि प्रदेश के आधे जिले ग्रीन जोन में, 3 जिले इंदौर भोपाल तथा उज्जैन रेड जोन में तथा शेष जिले ऑरेंज जोन में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सभी जिलों को शीघ्र ग्रीन जोन में लाना है।


विभिन्न प्रांतों से आए 35000 मजदूर


अपर मुख्य सचिव श्री आईसीपी केशरी ने बताया कि विभिन्न प्रांतों से अभी तक लगभग 35000 मजदूर मध्यप्रदेश पहुँच चुके हैं। इनमें राजस्थान से 25000 गुजरात से 6000 उत्तर प्रदेश से 2000 तथा महाराष्ट्र से 2000 मजदूर आए हैं। सभी मजदूरों की बॉर्डर पर हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है तथा उनकी भोजन आदि की अच्छी व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बसें एक साथ ना आएँ तथा भीड़ ना हो, इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए।


बैठक में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान और संचालक जनसंपर्क श्री ओ.पी. श्रीवास्तव उपस्थित थे।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...